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शक्कर से भी ज्यादा मीठी होती है स्टीविया, यह एक प्रकार की औषधि है इसके पत्ते शक्कर से भी ज्यादा मीठे होते हैं, इसका प्रयोग चाय या मीठे व्यंजन बनाने के लिए भी किया जा सकता है।*

: प्रायोगिक तौर पर शुरू की गई स्टीविया (मीठी तुलसी) की खेती ने यहां के किसानों को अब अंतरराष्ट्रीय पहचान भी दिला रही है। दरअसल, कोंडागांव के 400 किसानों ने मां दंतेश्वरी हर्बल समूह बनाकर स्टीविया की खेती शुरू की। किसानों के इस अनोखे प्रयोग को अब भारत सरकार के उपक्रम सीएसआइआर (काउंसिल ऑफ सांइटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च) ने भी मान्यता दे दी है। बहुत जल्द पालमपुर स्थित हिमालय जैवसंपदा प्रौद्योगिकी संस्थान के सहयोग से कोंडागांव में मीठी तुलसी की पत्ती से शक्कर बनाने का निजी कारखाना भी शुरू होने जा रहा है। यह देश का ऐसा पहला कारखाना होगा जहां मीठी तुलसी से शुगर फ्री शक्कर बनेगी। मां दंतेश्वरी हर्बल समूह से जुड़े राजाराम त्रिपाठी बताते हैं कि अब छत्तीसगढ़ के साथ-साथ आंध्र प्रदेश और ओडिशा के भी किसान इस समूह से जुड़ने लगे हैं।

बस्तर में एक हजार एकड़ में हो रही खेती
बस्तर में एक हजार एकड़ में इसकी औषधीय खेती की जा रही है। इसकी मार्केटिंग के लिए किसानों ने मां दंतेश्वरी हर्बल समूह का गठन किया है। यह समूह किसानों को आर्थिक रूप से समृद्ध करने का भी काम कर रहा है। बस्तर के स्टीविया की मांग दूसरे कई देशों में भी बढ़ रही है। कई विदेशी कंपनियां स्टीविया का इस्तेमाल दवा बनाने के लिए कर रही हैं।
शक्कर से भी ज्यादा मीठी होती है स्टीविया, यह एक प्रकार की औषधि है इसके पत्ते शक्कर से भी ज्यादा मीठे होते हैं, इसका प्रयोग चाय या मीठे व्यंजन बनाने के लिए भी किया जा सकता है।*