कोरोना महामारी संकट से बड़ा मज़दूरों का संकट -ज़िम्मेदार कटघोरा डी॰एफ.ओ
कोरबा। कटघोरा वनमंडल के अंतर्गत सभी परिक्षेत्रों में रेल करिडोर योजना से विभिन्न निर्माण कार्य कराये गये है पिछले डेढ़ वर्ष से चल रहे इन कार्यों में कुछ अभी भी निर्माणाधीन है । कैम्पा मद से हो रहे इन कार्यों में स्टॉप डैम एवम् तालाब प्रमुख है , इन कार्यों का मुख्य उद्देश्य मृदा जल संरक्षण तथा वन्य प्राणियो के पेयजल उपलब्ध कराना है । पाली; कटघोरा ;केंदयी; पसान; जटगा ; चैत्मा एवम् ऐ तमॉ नगर रेंज में करोंडो रुपये का कार्य पूर्ण हो चुके हैं जिनकी गुणवत्ता की जाँच भी कई स्तर पर हो चुकी है कुछेक कार्यों को छोड़कर सभी कार्य सही पाये गये लेकिन इन कार्यों में नियोजित मज़दूरों का मज़दूरी आज पर्यन्त नहीं हो पाया है । रेंजरों ने बताया की इसका एक कारण डेढ़ साल में पाँच डी॰एफ ओ का तबादला है ।वर्तमान डी॰एफ ओ की हठधर्मिता और मज़दूरों के प्रति असंवेंदनशीलता तो तब उजागर हुई जब इस वैश्विक महामारी संकट के समय भी मज़दूरों का भुगतान नहीं किया गया। करोड़ों रुपये का मज़दूरी डेढ़ साल से लम्बित है । सम्बंधित रेंजर कई कई बार इन कार्यों का प्रमाण क प्रस्तुत करते रहे परंतु निवर्तमान डी॰एफ ओ डी डी संत कुछ ना कुछ आपत्ति लगाकर घुमाते रहे । डी डी संत के निलम्बन पश्चात् शमा फ़ारूकी को प्रभारी डी एफ ओ बनाया गया जो भ्रष्टाचार के मामले में डी डी संत से दस क़दम आगे है । ये तो यहाँ तक की चौकीदार तथा दैनिक वेतन भोगियों का वेतन भी नहीं दे रही है । सभी रेंजरों द्वारा कोई ना कोई तकनीकी मार्गदर्शन लेकर निर्माण किये हैं परंतु कुछ ग़लतियाँ भी हुई हैं जिन्हें तकनीकी मार्गदर्शन से सुधारा भी जा रहा है । जो कार्य सही और पूर्ण हो चुके है उसमें मई माह में भी लबालब पानी भरा देखा गया। इन कार्यों को लेकर कुछ लोग ऐसे भी है जो मौक़े का फ़ायदा उठाते हुए अपना उल्लू सीधा करने के लिए सभी कार्यों को निम्न स्तर का बताकर अधिकारियों को गुमराह कर रहे है . परंतु अधिकारियों का भी तो कोई विवेक होना चाहिये । कुछ ऐसे असामाजिक लोग जिन्हें रेंजरों से अपेक्षित लाभ नहीं मिल पाया वो एन केन प्रकारेंन सोशल मीडिया में तथ्यहिन ख़बर प्रकाशित कर आये दिन माहौल गंदा करते जा रहे है । वनमंडल अन्तर्गत विभिन्न रेंजो में बने स्टॉप डेम व तालाब तो अपनी जगह पर डेढ़ साल से खड़े है लेकिन मज़दूरों के धैर्य का डेम टूट चुका है । आदिवासी अंचल के इन हज़ारों मज़दूरो का ग़ुस्सा कभी भी क़हर बन कर वनमंडल में फूट सकता है । बेचारे मज़दूर अपने ही क्षेत्र में मज़दूरी कर ख़ुश हो रहे थे उन्हें क्या मालूम था की उनकी मज़दूरी मानवता के दुश्मन बने डी एफ ओ के हठधर्मिता की बलि चढ़ जायेगी । मज़दूरों के अलावा छोटे व्यापारी जिनका मिक्सर मशीन , ट्रैक्टर और सैटरिंग का रेंजरों द्वारा किराये पर लेकर उपयोग किया गया था उनका लाखों रुपये का किराया बक़ाया है । वर्तमान डी एफ ओ अकर्मणय होने के साथ साथ लापरवाह भी है