कोरबा न्यूज़

शिक्षकों के कमी के बीच जर्जर शासकीय स्कूलों में आज से भविष्य गढ़ने जाएंगे आकांक्षी जिला के छात्र ,

खुलेंगे स्कूलों के पट ,8 स्कूल भवनविहीन,225 अति जर्जर ,266 स्कूलों में रनिंग वाटर ,

 

 

38 स्कूलों में हैंडपम्प बोर का अभाव , 794 शिक्षकों के पद खाली ,प्रधानपाठक विहीन 155 स्कूल प्रभारियों के भरोसे

कोरबा: ढाई माह की ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद 16 जून से स्कूलों के पट खुल जाएंगे। शाला प्रवेशोत्सव के साथ ही स्कूलों अध्यापन व्यवस्था शुरू हो जाएगी।।लेकिन जिले के सरकारी स्कूलों में एक बार शिक्षकों से लेकर संसाधनों की कमी की समस्या गूंजेगी। करोड़ों रुपए खर्च करने लाख प्रयास के बाद भी सरकारी स्कूलों की सेहत अभी भी खराब है ,अभावों के बीच बच्चों अपने भविष्य की बुनियाद गढ़ने विद्यार्जन करना पड़ेगा।

आदिवासी बाहुल्य एवं देश के 110 पिछड़े (आकांक्षी)जिलों में शामिल कोरबा में शिक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने अभी भी काफी कुछ करने की दरकार है। 18 अप्रैल को हुई बैठक में उपलब्ध कराई गई जानकारी के अनुसार बात करें अधोसंरनात्मक कमियों की तो 8 स्कूल भवन विहीन हैं। इनमें 3 पूर्व माध्यमिक शाला ,5 हाईस्कूल शामिल हैं। 225 स्कूल भवन अति जर्जर ( डिस्मेंटल योग्य ) हैं। इनमें 175 प्राथमिक शाला ,44 पूर्व माध्यमिक शाला ,1 हाईस्कूल ,5 हायर सेकेंडरी स्कूल शामिल हैं।।

वहीं जर्जर मरम्मत योग्य स्कूल भवनों की बात करें तो ऐसे स्कूलों की संख्या 645 है। इनमें 414 प्राथमिक शाला ,194 पूर्व माध्यमिक शाला ,16 हाईस्कूल एवं 21 हायर सेकेण्डरी स्कूल शामिल है। बात करें पेयजल व्यवस्था की तो यहां भी काफी कार्य करने की जरूरत है।439 शालाओं में रनिंगवाटर /पेयजल सुविधा दी जानी है । लेकिन इनमें से 266 स्कूलों में रनिंग वाटर की सुविधा नहीं है। इनमें करतला ब्लाक के 54 ,कटघोरा के 19 ,कोरबा के 68 एवं पाली के 125 शाला शामिल हैं।

इसी तरह 38 स्कूलों में हैंडपम्प बोर की सुविधा नहीं है। इनमें करतला ब्लाक के 5 स्कूल ,कटघोरा के 2 ,कोरबा के 11 एवं पाली के 20 स्कूल शामिल हैं। 410 ग्राम पंचायतों को मॉडल शौचालय निर्माण हेतु चयनित किया गया है। वहीं नगरीय निकायों में 77 वार्ड इस कार्य के लिए चयन किए गए हैं।सरस्वती सायकल वितरण शत प्रतिशत किए जाने ,संलग्नीकरण पूर्णतः समाप्त किए जाने के दावों की वास्तविकता भी जल्द ही स्कूलों के निरीक्षण के दौरान सामने आएगी।

माध्यमिक शाला में प्रधानपाठक के 155 ,शिक्षकों के 794 पद रिक्त ,प्रभारियों के भरोसे स्कूल 

शिक्षकों की कमी से भी जिले के पूर्व माध्यमिक शाला जूझ रहे हैं। जिले में शिक्षकों के 2339 पद स्वीकृत हैं। इनमें से 794 (करीब 34 फीसदी)पद रिक्त हैं। इनमें पोंडी उपरोड़ा ब्लाक के सर्वाधिक 234 पद नहीं भरे जा सके। कोरबा के 178 ,पाली के 151,करतला के 118 एवं कटघोरा के 113 पद रिक्त हैं। इसी तरह प्रधानपाठकों के स्वीकृत पदों में से करीब 30 फीसदी पद खाली हैं। 517 पदों में से 155 पद नहीं भरे जा सके। इनमें भी वनांचल ब्लाक पोंडी उपरोड़ा के सर्वाधिक 91 स्कूल शामिल हैं।

पाली ब्लॉक से 30 स्कूल , कोरबा ब्लॉक से 15 स्कूल ,कटघोरा ब्लॉक से 10 स्कूल एवं करतला ब्लॉक के 9 स्कूल प्रधानपाठक विहीन हैं। जहां प्रभारियों के भरोसे स्कूल चल रहे। माध्यमिक शाला से ही बच्चे हाईस्कूल में जाते हैं। यहीं बच्चों की बौद्धिक क्षमता का विकास होता है। जो उन्हें आगामी बोर्ड परीक्षा के लिए तैयार करता है। ऐसे में शिक्षकों प्रधानपाठकों की कमी का असर शिक्षा व्यवस्था पर भी पड़ता है। इस बोर्ड परीक्षा के नतीजों ने इसे साबित कर दिया है। दोनों बोर्ड में कोरबा जिले से एक भी परीक्षार्थी प्रावीण्य सूची में स्थान नहीं बना सका।

डीएमएफ के करोड़ों के फंड बंद स्कूलों में खेल सामग्री जैसे फ़िजूलकार्यों में कर डाले खर्च , राजस्व मंत्री ने लगाए थे आरोप ,स्कूलों की सुधर सकती थी व्यवस्था

बात करें डीएमएफ से शिक्षा सेक्टर को संवारने की तो कृषि हेल्थ के बाद एजुकेशन सेक्टर में डीएमएफ (जिला खनिज संस्थान न्यास ) की राशि प्राथमिकता से कार्य किए जाने हैं। लेकिन यह सर्वविदित है कि इस मद के करोड़ों रुपए के फंड को जिला प्रशासन ने खेल सामग्री जैसे फ़िजूलकार्यों में व्यय कर दिया । जबकि इसके लिए शिक्षा विभाग से प्रस्ताव भी नहीं गया था। इसकी शिकायत प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने 6 मई को की थी।

खनिज सचिव को लिखे पत्र में राजस्व मंत्री श्री अग्रवाल ने लिखा था कि छत्तीसगढ़ सरकार के मुखिया द्वारा प्रमुखता से शिक्षा, स्वास्थ्य एवं सड़क के कार्यों को प्रथम प्राथमिकता दी जा रही है। वहीं इसके विपरीत कलेक्टर कोरबा द्वारा यदि इससे संबंधित किसी कार्य को स्वीकृति प्रदान की जाती है वह कार्य साफ तौर पर झलकता है कि इन्होंने निजी स्वार्थवश बिना किसी मांग के कमीशनखोरी के लिए कार्य की स्वीकृति प्रदान की है। जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण है कि समाचार पत्रों में प्रकाशित हुआ है कि खेलः खेल गढ़िया मद से स्कूलों में दो साल में दो बार हो चुकी है

खेल सामग्री की खरीदी दो साल में टूर्नामेंट हुए नहीं, सामग्री न तो खराब हुई न टूटी, न गायब हुई, पुराने के उपयोग के बजाए नई खरीदी। अब फिर से 72 लाख की खेल सामग्री स्कूलों के लिए हुई खरीदी, डीएमएफ फंड से खरीदी में जल्दबाजी संबंधी समाचार का प्रकाशन किया गया है जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी जे.पी. भारद्वाज का बयान भी प्रकाशित किया गया है जिसमें उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा है कि ‘खेल सामग्री की खरीदी डी.एम.एफ. शाखा से हुई है। इसकी जानकारी विभाग को नहीं है।

हमने प्रस्ताव नहीं दिया है ।‘ इससे स्पष्ट होता है कि श्रीमती रानू साहू के आचरण एवं कार्य व्यवहार से स्थानीय स्तर पर सरकार की छवि धूमिल हो रही है साथ ही संचार माध्यम की व्यापकता तथा कोरबा राष्ट्रीय स्तर का शहर होने की वजह से सम्पूर्ण राष्ट्र में छत्तीसगढ़ सरकार की छवि पर काला धब्बा लग रहा है वहीं कोरबा कलेक्टर श्रीमती रानू साहू मालामाल हो रही है इस शिकायत के बाद भी छत्तीसगढ़ शासन से कोई कार्रवाई नहीं हुई। निश्चित तौर पर इस फ़ंड से शासकीय स्कूलों के अन्य आवश्यक कमियां दुरुस्त की जा सकती थी।