मरवाही वनमण्डल कार्यालय के कैम्पा शाखा में पदस्थ लिपिक भूपेंद्र साहू का नया कारनामा ..30 लाख के स्वीकृत स्टॉप डेम में बुक किया 34 लाख.. जांच की माँग
मरवाही वनमण्डल कार्यालय के कैम्पा शाखा में पदस्थ लिपिक भूपेंद्र साहू का नया कारनामा..
30 लाख के स्वीकृत स्टॉप डेम में बुक किया 34 लाख.. जांच की माँग
गौरेला पेंड्रा मरवाही;- मामला मरवाही वन मण्डल के खोडरी परिक्षेत्र के ललाती परिसर का है जहां ईस्ट वेस्ट रेल कारी डोर के एवज में स्वीकृत स्टाप डेम कक्ष क्रमांक 2213 पार्ट -1फुलवारी में स्टॉप डेम बनाने 30 लाख की स्वीकृति हुई थीं जिसे तत्कालीन वनमंडलाधिकारी राजेश मिश्रा के निर्देश में स्टाप डेम का निर्माण कार्य बरसात पूर्व करने निर्देश प्राप्त हुआ था.. निर्देशानुसार तत्कालीन परिक्षेत्र अधिकारी ने स्थानीय अनुभवी ठेकेदारी करने वाले सादिक खान को यह कार्य मजदूरी में कराने दिया गया था.. जहां कार्य 40 परसेंट होने पर परिक्षेत्र खोडरी से 21 लाख के बिल बाउचर वनमण्डल कार्यालय को प्रस्तुत किये गए जिसमे 40 एमएम गिट्टी, सरिया एवम् सीमेंट, रेत का सप्लाई साहिल इंटर प्राइजेस बिलासपुर द्वारा किया गया परंतु 20एमएम की सप्लाई नर्मदा फ्लाई एस पेंड्रा की फर्म द्वारा आज तक 20एमएम गिट्टी सप्लाई नही किया गया इस संबंध में संबंधित तात्कालिक परिक्षेत्र एवम् संबंधित कर्मचारियो से पूछा गया कि जब सप्लाई नही तो समन्धित फर्म को भुगतान कैसे किया गया तो उन्होंने बताया कि तात्कालिक प्रभारी वनमण्डलाधिकारी के निर्देश पर बरसात पूर्व कार्य करना जरूरी था ?
निर्माण स्थल तक थोड़ा भी बरसात होता है तो गाड़िया नही जा पाती इस लिए बरसात पूर्व मटेरियल स्थल तक पहुच सके इसलिए एडवांस बिल बाउचर सामाग्री को तैयार कर प्रस्तुत किया गया था, लेकिन वनमण्डल में पदस्थ लिपिक को सूचना दिया गया था कि 20एमएम गिट्टी अभी समन्धित फर्म द्वारा अभी तक गिटटी प्रदाय नही किया गया है और जब तक फर्म द्वारा 20mm गिटटी फर्म द्वारा प्रदाय स्थल में नही किया जाता है तब तक चेक नही काटना लेकिन कार्य चालू रहते ही बरसात सुरु हो गई और कार्य बन्द करना पड़ा और ततकालिक परिक्षेत्र अधिकारी का रिटायरमेन्ट हो गया इसी का फायदा उठा कैम्पा साखा में पदस्थ लिपिक भूपेंद्र साहू ने फर्म से साठगांठ कर प्रस्तुत बिल बाउचर का चेक नर्मदा फ्लाई एस को काट राशि का बंटरबाट कर लिया गया ?
यह मामला जब खुला जब बरसात पश्चात कार्य प्रारंभ करवाने डिवीजन से और रेज के एपीओ से मिलान किया गया कि कितनी राशि सेंशन है तो पता चला कि भूपेंद्र साहू ने फर्जी बिल लगा 5लाख की अतिरिक्त चेक काट दिया है और 30 लाख के स्वीकृति पर 34 लाख व्यय एपीओ में दिखाया जा रहा है अब सवाल यह उठता है कि वनमण्डल कार्यालय में एक एक रूपया व्यय का संधारण होता है तो 34 लाख की बुकिंग कैसे हुई और बिना समाग्री प्रदाय के फर्म को चेक कैसे जारी किया गया जाच का विषय है अगर फर्म द्वारा सामग्री प्रदाय करना बताया जाता है तो वह रक्षक या डिप्टी रेंजर किसी की भी पावती समन्धित फर्म या भूपेंद्र साहू दिखाए…?
ततकालिक परिक्षेत्र अधिकारी, परिक्षेत्र सहायक, वन रक्षक ने कहा की दोषियों के ऊपर कार्यवाही किया जाए.. जबरजस्ती हम लोगो को बली का बकरा बनाया जा रहा है इसमें हम वनमण्डलाधिकारी से जाच की मांग करते है और संबंधित फर्म के ऊपर एफआईआर और जो कर्मचारी जो भी दोसी हो उन्हें कड़ी कार्यवाही की जाना चाहिए ?
बता दे की आज भी वह स्टॉप डेम अधूरा पड़ा अपना हुआ है जिसमे कुल मजदूरी राशि 699000 का चेक परिक्षेत्र अधिकारी खोडरी को दिया गया जिसका भुगतान मजदूरों को कर दिया गया है 300000 लाख की मजदूरी राशि भी लिपिक ने समाग्री में बुक कर दिया है अब जब तक इनकी वसूली डीएफओ मरवाही द्वारा नही किया जाता तब तक कार्य अधूरा ही रह जायेगा लिपिक भूपेंद्र साहू के खिलाफ जांच कराने से ही मामले की सच्चाई सामने आएगी ?
प्रधान मुख्य वन संरक्षक व मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर के आडिट टीम को भी गुमराह कर आडिट में सब सही करवा लिया..
आडिट कंडिका से बच निकला एजी कार्यालय के द्वारा आडिट के समय ऑडिटरो से लेनदेन कर मामला को निपटा लिया गया जबकि एजी कार्यालय के आडिट में एक एक रूपया आडिट किया जाता है तो इतनी बड़ी गलती को क्यो नही पकड़ा जा सका… आडिट दल के ऊपर भी प्रश्न चिन्ह लगता है! मामले में स्वत्रंत संस्था ईडब्लूओ को सज्ञान में लेकर अपराध पंजीबद्ध कर दोषियो के खिलाफ कठोर कार्यवाही करते हुए जेल दाखिल की कार्यवाही करनी चाहिए और एजी कार्यालय के आये आडिट दल के ऊपर भी उचित कार्यवाही होना चाहिए। बता दे इस मामले की शिकायत प्राथी ने ईओडब्ल्यू में कर दिया है और कॉपी ए जी कार्यालय को दिया गया है ।