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कोरबा : ग्रामीण क्षेत्रों में धड़ल्ले से चल रहे अवैध स्टोन क्रेशर : अवैध क्रेशर प्लांट को लेकर प्रशासन गंभीर नहीं

कोरबा : शासन का अवैध स्टोन क्रेशरों को सील करने और कार्यवाही का अभियान जारी है. बिना दस्तावेजों के चले रहे अवैध क्रेशरों को ध्वस्त किया जा रहा है. इसके बाद भी क्रेशर संचालक विभागीय अधिकारियों से हाथ मिलाकर बिना दस्तावेजों के इन्हें फिर से शुरू कर लेते हैं

कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों एवम पसान क्षेत्र में नियमों को ताक पर रखकर अवैध स्टोन क्रेशरो का संचालन किया जा रहा है. बिना दस्तावेजों के धड़ल्ले से चल रहे अवैध क्रेशरों के खिलाफ प्रशासन भी कार्रवाई करने के अभियान चलाता रहा है, लेकिन कुछ दिनों बाद फिर से क्रेशर मालिक प्रशासनिक अधिकारियों की मिली भगत से इनका संचालन शुरू कर देते हैं.शासन का अवैध स्टोन क्रेशरो को सील करने और तोड़ने का अभियान जारी है. बिना दस्तावेजों के चले रहे अवैध क्रेशरो को जेसीबी मशीन की सहायता से ध्वस्त किया जा रहा है. इसके बाद भी क्रेशर संचालक विभागीय अधिकारियों से हाथ मिलाकर बिना दस्तावेजों के इन्हें फिर से शुरू कर लेते हैं. सवाल यह है कि आखिर बिना कागजातों के ये क्रेशर फिर से कैसे शुरू हो जाते हैं?.

राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे सड़कों पर धड़ल्ले से चल रहे क्रशर और बिना पर्यावरण स्वीकृती के धूल उड़ाते क्रेशर से लोगों की परेशानी कम नहीं हुई है. स्थानीय लोगों की शिकायत पर चल परे प्रशासन के इस अभियान पर मंथन की आवश्यकता है. इस मामले में उपायुक्त का कहना है कि अवैध क्रेशर संचालकों के खिलाफ लगातार प्रशासन का अभियान चलता रहता है. पत्थर व्यावसायियों से लगातार अपील भी की जाती है कि वे पर्याप्त दस्तावेजों के साथ ही व्यवसाय करें, जिससे पर्यावरण को नुकसान हीं हो. पर्यावरण की कीमत पर पत्थरों की व्यवसाय नहीं चलने दिया जाएगा…प्रशासन का अवैध स्टोन क्रेशरो के खिलाफ तोड़ने और सील करने का अभियान तो जायज है, लेकिन वो अधिकारी कौन है, जिनके सहयोग से ये बिना दस्तावेजों के धड़ल्ले से चल रहे हैं. आखिर कैसे सील क्रशर फिर से बिना कागजों के क्रेशर चलाना शुरू कर देते हैं और कई ध्वस्त क्रेशर फिर से खड़ा हो जाता है…?