पेंड्रा: 34 प्रतिशत मंहगाई भत्ता की मांग को लेकर 32 संगठनों के हड़ताल से दफ्तरों के कामकाज ठप्प: 3 दिन चलेगा हड़ताल…
34 प्रतिशत मंहगाई भत्ता की मांग को लेकर 32 संगठनों के हड़ताल से दफ्तरों के कामकाज ठप्प
केन्द्र की तरह मंहगाई भत्ता मांग रहे कर्मचारी
3 दिन चलेगा हड़ताल
पेण्ड्रा / केन्द्र की तरह 34 प्रतिशत मंहगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के मुताबिक गृहभाड़ा भत्ता की मांग पर 32 विभागों के जिला गौरेला पेण्ड्रा मरवाही के कर्मचारियों ने सोमवार 11 अप्रैल से कर्मचारी भवन के सामने ज्योतीपुर पेण्ड्रारोड में 3 दिवसीय हड़ताल शुरू कर दिया है जिसके कारण जिला प्रशासन कार्यालय सहित सभी शासकीय कार्यालयों में कामकाज ठप्प हो गए हैं। कर्मचारियों ने कहा कि इतिहास की यह पहली सरकार है जिसके राज में मंहगाई भत्ता के लिए हड़ताल करना पड़ रहा जबकि इससे पहले किसी भी सरकार में मंहगाई भत्ता के लिए हड़ताल नहीं हुआ।
पूर्व नियोजित कार्यक्रम के अनुसार छत्तीसगढ़ महंगाई भत्ता संघर्ष मोर्चा के बैनर तले 32 विभागों के अधिकारी और कर्मचारी सोमवार से धरने पर बैठ गए हैं। अगर सरकार इनकी मांग नहीं मानती है तो यह प्रदर्शन 13 अप्रैल तक चलेगा। इस दौरान सभी शासकीय विभागों के काम ठप्प पड़े रहेंगे। हड़ताल के कारण जहां एक और सरकारी दफ्तरों के कामकाज जहां के तहां रुक रहे हैं वही दूसरी ओर अस्पतालों की स्वास्थ्य व्यवस्था भी चरमरा गई है क्योंकि स्वास्थ्य कर्मचारी संघ के सभी कर्मचारी हड़ताल में शामिल हो गए हैं वहीं जिले के अधिकतर स्कूलों में तालाबंदी की स्थिति रही क्योंकि स्कूलों का पूरा का पूरा स्टाफ हड़ताल में शामिल हो चुका है।
धरना प्रदर्शन में कर्मचारी नेताओं ने अपने संबोधन में कहा कि बार-बार सरकार को ज्ञापन देने के बावजूद भी जब सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों के बराबर महंगाई भत्ता और सातवें वेतनमान के अनुसार गृहभाड़ा भत्ता की घोषणा नहीं की तब मजबूरी में उनके द्वारा धरना प्रदर्शन प्रारंभ किया गया है। उन्होंने कहा कि भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बने लगभग 40 महीने हो गए हैं जिसमें से 28 महीने से वे महंगाई भत्ता के लिए कर्मचारी को परेशान कर रहे हैं। इस दौरान केंद्र सरकार के द्वारा 7 बार महंगाई भत्ता बढ़ाया गया जिसमें से सिर्फ दो किस्त बघेल सरकार द्वारा स्वीकृत किया गया बाकी 5 किस्तों को रोक दिया गया है जिसके कारण केंद्र और राज्य के कर्मचारियों के मंहगाई भत्ता में 17 प्रतिशत का अंतर आने से प्रत्येक कर्मचारी एवं अधिकारी को 1 लाख रुपए से लेकर 4 लाख रुपए तक का नुकसान हो चुका है और यह नुकसान महीने दर महीने बढ़ता ही जा रहा है जबकि इस दौरान मंहगाई सातवें आसमान पर पहुंच चुकी है, इसलिए कर्मचारियों के सब्र का बांध अब टूट चुका है और वह आंदोलन की राह पर आ गए हैं। धरना प्रदर्शन में मुख्य रूप से शिक्षक कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह, स्वास्थ्य कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष राहुल जायसवाल, टीचर्स एसोसिएशन जिलाध्यक्ष मुकेश कोरी, सहायक शिक्षक फेडरेशन के जिला संरक्षक जितेंद्र शुक्ला, पेंशनर जिलाध्यक्ष शिव शंकर तिवारी, लिपिक संघ जिलाध्यक्ष ललित ध्रुव, उषा शर्मा, सत्य नारायण जायसवाल, मंजुला मल्होत्रा, चतुर्थ वर्ग जिलाध्यक्ष बुधराम श्याम, व्हाई पदमा मूर्ति, आरती शर्मा, संजय नामदेव, तरुण नामदेव, किरण रघुवंशी, प्रमोद पांडे, बलराम सिंह, रामानंद गौतम, फैजान सिद्दीकी, प्रकाश नामदेव, बृजेंद्र सिंह, आधार सिंह, जीएस सिंह, मनोज तिवारी, भीष्म त्रिपाठी, प्रभाकर सिंह, अजय चौधरी, राकेश चौधरी, केके वर्मा, अभिषेक ओझा, भरत डडसेना, विनीता त्रिपाठी, पूनम मनहर, पुष्पलता तिवारी, शांति ओट्टी, पूर्णिमा सूर्यवंशी, संध्या राय, संध्या चौहान, ममता राठौर, नीता पुरी, मीना मरावी इत्यादि सहित सैकड़ों की संख्या में कर्मचारी अधिकारी उपस्थित थे।