छत्तीसगढ़ देश का एकमात्र राज्य, जहां अलग अलग दर से मंहगाई भत्ता दिया जा रहा: भेदभाव की नीति के कारण कर्मचारी राज्य सरकार से नाराज…
सबके लिए एक जैसी मंहगाई लेकिन मंहगाई भत्ता 4 तरह की दर से, भेदभाव की नीति के कारण कर्मचारी राज्य सरकार से नाराज
राज्य सरकार के खिलाफ जून में दिल्ली में करेंगे प्रदर्शन
छत्तीसगढ़ देश का एकमात्र राज्य, जहां अलग अलग दर से मंहगाई भत्ता दिया जा रहा
अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को 31%, विद्युत विभाग को 34%, अन्य सभी को 22% तथा पेंशनर को 17% मंहगाई भत्ता
पेण्ड्रा / केंद्रीय कर्मचारियों के समान 34% मंहगाई भत्ता की मांग कर रहे कर्मचारियों के साथ राज्य सरकार ने अन्याय की पराकाष्ठा कर दी है। बाजार और मंहगाई सबके लिए एक जैसा होने के बावजूद भूपेश बघेल की सरकार ने भेदभाव की नीति अपना कर मंहगाई भत्ता 4 तरह के दर से दिए जाने का आदेश जारी किया है जिसके कारण कर्मचारियों में असंतोष व्याप्त है।
देश में एकमात्र छत्तीसगढ़ राज्य है जहां 4 स्तर का मंहगाई भत्ता दिया जा रहा है जिसमें अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों को 31%, विद्युत विभाग के कर्मचारियों को 34%, अन्य सभी विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को 22% तथा पेंशनर को 17% मंहगाई भत्ता दिया जा है। इसमें भी अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों एवं विद्युत विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों को पूरा एरियर्स भी दिया जा रहा है जबकि अन्य विभाग के कर्मचारियों एवं पेंशनरों का जनवरी 2020 से लेकर अब तक 28 माह का एरियर्स सरकार ने डकार लिया है जिससे कर्मचारियों अधिकारियों को लाखों रुपए का आर्थिक नुकसान हो चुका है, इसलिए कर्मचारियों में सरकार से नाराजगी है
मंहगाई भत्ता संघर्ष मोर्चा के कर्मचारी संगठन के नेताओं ने शासन के द्वारा अलग अलग विभाग के कर्मचारियों के साथ अपनाए जा रहे भेदभाव पूर्ण रवैए से नाराजगी जताते हुए मांग किया है कि सभी विभाग के सभी कर्मचारियों को केन्द्र के समान एक जैसा मंहगाई भत्ता मिलना चाहिए क्योंकि मंहगाई सबके लिए एक समान है।
कर्मचारी संगठन ने कहा कि प्रदेश के इतिहास में यह पहली सरकार है जिसके राज में ऐसा पहली बार हो रहा है कि सरकारी अधिकारियों कर्मचारियों से भेदभाव करके 4 तरह के महंगाई भत्ते दिए जा रहे हैं, जबकि इससे पहले की सरकारों में राज्य के समस्त अधिकारियों, कर्मचारियों और पेंशनरों को एक समान केंद्र के बराबर महंगाई भत्ता दिया जाता था। संघर्ष मोर्चा ने कहा कि मुख्यमंत्री ने 4 अप्रैल को कहा था कि वह जल्द ही सभी कर्मचारियों को महंगाई भत्ता की खुशखबरी देंगे लेकिन कर्मचारियों को यह भरोसा नहीं था कि वह इस तरह का भेदभाव पूर्ण आदेश जारी करेंगे कि राज्य में 4 प्रकार के महंगाई भत्ता पाने वाले अधिकारी कर्मचारी हो जाएंगे। मुख्यमंत्री ने खुशखबरी देने की बजाय कर्मचारियों में निराशा का माहौल पैदा कर दिया है।
4 मई को अखिल भारतीय सेवा के अधिकारियों के मंहगाई भत्ता को 28% से बढ़ाकर 31% एवं 26 अप्रैल को विद्युत विभाग के कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता 31% से बढ़ाकर 34% किया गया था जिसमें एरियर्स देने का स्पष्ट उल्लेख है लेकिन राज्य के अन्य सभी विभाग के कर्मचारियों का मंहगाई भत्ता 17% से बढ़ाकर सिर्फ 22% करने का जो आदेश 1 मई को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के निर्देश पर जारी किया गया उसमें एरियर्स देने का उल्लेख नहीं है जिससे कर्मचारियों को लग रहा है कि राज्य सरकार उनका लाखों रुपए का एरियर्स डकार गई है जिसके कारण कर्मचारियों में सरकार से नाराजगी है।
संघर्ष मोर्चा के जिला गौरेला पेण्ड्रा मरवाही के सभी कर्मचारी संगठनों शिक्षक कांग्रेस जिलाध्यक्ष सुरेंद्र सिंह, स्वास्थ्य कर्मचारी संघ जिलाध्यक्ष राहुल जायसवाल, टीचर्स एसोसिएशन जिलाध्यक्ष मुकेश कोरी, लिपिक संघ जिलाध्यक्ष ललित ध्रुव, सत्य नारायण जायसवाल, संयोजक पीयूष गुप्ता इत्यादि ने कहा है कि केंद्र के बराबर मंहगाई भत्ता के अपने अधिकार के लिये अपना संघर्ष जारी रखेंगे तथा आगामी जून माह में दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना प्रदर्शन करने की तैयारी और जोर शोर से करेंगे।