सूर्यकांत और खरसिया का क्या है कनेक्शन? तीन दिनों की आईटी रेड में खुले कई गहरे राज, सरकार के करीबियों का कनेक्शन ?
सूर्यकांत और खरसिया का क्या है कनेक्शन? तीन दिनों की आईटी रेड में खुले कई गहरे राज, सरकार के करीबियों का कनेक्शन!
रायगढ़: प्रदेश में इन दिनों आईटी की छापेमारी का ताबड़तोड़ सिलसिला चल रहा है. एक तरफ जहां अब आईटी के साथ साथ ईडी की एंट्री भी प्रदेश में होने से कई बड़े बड़े उद्योगपतियों की नींदे उदा दी हैं. ऐस में सरकार के सबसे करीबी माने जाने वाले कोयला कारोबारी सूर्यकांत तिवारी के कनेक्शन अब खरसिया से भी जुड़ने लगे है. सूर्यकान्त तिवारी आईटी रेड मामले में अब कार्यवाही रफ़्तार पकड़ चुकी है. प्रदेशभर में सूर्या से जुड़े लोगों में आईटी की छापामार कार्रवाई जारी है. एकतरफ प्रदेश भर के उद्योगपति और व्यापारिक घरानों में रेड की कार्यवाई जारी है वहीँ अपना पॉलिटिकल रसूख रखने वाले नेताओं के घरों में भी छापे की कार्यवाई जारी है.।
सुर्य और पॉलिटिकल कनेक्शन ! क्या वजह है जो पड़ा रायपुर ऑफिस में छापा?
सूर्यकान्त तिवारी मामले में 200 करोड़ से अधिक के लेन देन और प्रोपर्टी से जुड़े दस्तावेज मिलने के बाद बरामद हुई डायरी के बिनाह पर अब आईटी की टीम हर एंगल से काम कर रही है, इसी बीच एक ऐसे नाम पर उनकी नजर पड़ी जो छत्तीसगढ़ में हुए चुनावों से उसके तार जुड़ रहे हैं. खैरागढ़ उपचुनाव, भिलाई नगर निगम चुनाव से लेकर सभी जगह लेन-देन से लेकर काम दिए जाने का जिक्र उक्त व्यक्ति के नाम पर मिला.।
डायरी ने खोले बड़े राज, अब अधिकारीयों पर भी आईटी की नजर
सूत्रों की माने तो डायरी में मिले युवक का नाम बादल सिंह है जोकि खरसिया का निवासी है और लम्बे समय से अपने राजनैतिक पकड़ के दम पर रायपुर-भिलाई-राजनांदगांव से काम कर रहा है. सूबे के बड़े नेताओं के टेढ़े काम उसे दिए जाते रहे हैं. पोलिटिकल पीआर कम्पनी और मिडिया फर्म के मालिक होने के साथ ही प्रदेश में होने वाले चुनावों के दौरान इसे सक्रीय किया जाता रहा है.।
क्या है बादल सिंह ठाकुर और सूर्यकांत तिवारी का रिश्ता ?
आईटी की टीम लगातार उसपर नजर बनाये हुए थी, वही 04 अगस्त की सुबह जब रायपुर के पोर्श इलाके अवंती विहार में थिंक फर्स्ट और तोपचन्द डॉट कॉम का दफ्तर खुला तब आईटी की टीम ने ऑफिस में दबिश दे डाली. थिंक फर्स्ट के दफ्तर से इनकम टैक्स विभाग के अधिकारीयों को चुनावों में उसकी भूमिका और सरकार से जुड़े कई योजनाओं में बादल सिंह के सीधे जुड़े होने के साक्ष्य बरामद हुए. सूत्रों के अनुसार यह युवक सरकार के करीबियों का कृपा पात्र बना हुआ है और पॉलिटिकल कनेक्शन के बूते एक पोलिटिकल पीआर और मिडिया कंपनी चलाता है. कई बड़े नेताओं की डिजिटल कनेक्टिविटी, पीआर और पोलिटिकल काम इसके कार्यालय से सम्पादित होते हैं.।
कौन हैं सूर्यकांत तिवारी ?
सत्ताजगत में खासा रसूख रखने वाले सूर्यकांत तिवारी मूल रूप से छत्तीसगढ़ के महासमुंद जिले के रहने वाले हैं। पूर्व में उनकी पहचान कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे विद्याचरण शुक्ल के समर्पित कार्यकर्ता के रूप में रही है। बताते हैं कि विद्याचरण उन्हें बेटे जैसा स्नेह करते थे। कालांतर में वे अजीत जोगी के साथ नजर आने लगे। जानकार बताते हैं कि 2003 में प्रदेश में सत्ता की बाजी पलटने के बाद वे बीजेपी सरकार में दो प्रभावशाली मंत्रियों की नजदीकी हासिल करने में भी कामयाब रहे हैं।
खैरागढ़ में कांग्रेस की जीत से जुड़े कई राज अब खुलने लगे !
पिछले दिनों हुए खैरागढ़ विधानसभा उपचुनाव में इस युवक की भी भूमिका रही है जहाँ पॉलिटिकल कैम्पेन से लेकर प्रत्याशी की पोलिंग बूथ मैनेजमेंट का काम इसे सौपा गया था. आईटी डिपार्टमेंट को शक था कि इसमें पैसों का लेन देन का काम सूर्यकान्त के जरिए हुआ है. सूर्यकांत की डायरी से मिले साक्ष्य को फालो करते हुए टीम ने बादल सिंह के ठिकानों में छापेमार कार्यवाई की जहाँ से दर्जनों कंप्यूटर लैपटॉप और हार्डडिस्क जप्त किए गये हैं. बादल के पास यूपी चुनाव, छत्तीसगढ़ चुनाव, विधानसभा उप चुनाव से जुड़ा इतना अधिक डेटा था जिसकी कॉपी बनाने में आईटी की टीम को 3 दिन से अधिक का समय अलग गया. हालाकि बादल के पास कितनी रकम मिली इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है लेकिन उसके बैंक ट्रांजेक्शन खंगाले जा रहे हैं।
सूत्रों के अनुसार बादल से पूछताछ कर आईटी की टीम लौट चुकी है जिसके बाद प्रदेशभर के नेताओं में यह बात गले का फ़ांस बन चुका है। बादल के करीबियों की माने तो यह रेड पैसों की हेराफेरी का नहीं बल्कि एक पॉलिटिकल रेड है जहां बादल को तोड़े जाने की कोशिश की गई है। हालांकि बादल ने क्या कुछ कबूला यह बात अभी सामने नहीं आयी है।