पेण्ड्रा तहसील का एक और कारनामा , जीवित वारिस को मरा बताकर भूमि हड़पने के फिराक में , अधिकारी और भूमाफियाओ की मिलीभगत से भ्रष्टाचार का गढ़ बना पेण्ड्रा तहसील..
पेण्ड्रा तहसील का एक और कारनामा , जीवित वारिस को मरा बताकर भूमि हड़पने के फिराक में , अधिकारी और भूमाफियाओ की मिलीभगत से भ्रष्टाचार का गढ़ बना पेण्ड्रा तहसील ,
गौरेला – पेण्ड्रा – मरवाही GPM : – पेण्ड्रा तहसील जहाँ जमीन दलालों और अधिकारियों की मिलीभगत से भ्रष्टाचार के नित नए आयाम गढ़ रहा है दिनरात भू – माफियाओ के चंगुल में घिरा तहसील कार्यालय अब इन माफियाओ के आगे नतमस्तक हो गया है तब तो खुलेआम सारे नियम कायदों को ताक में रखकर शासकीय दस्तावेजो में कूटरचना , दस्तावेजो में छेड़छाड़ हो रहा है .।
दरअसल पूरा मामला पेण्ड्रा तहसील के ग्राम सरखोर का है जिसकी भूमि खसरा नंबर 38 जिसका रकबा 1.79 एकड़ है . उक्त भूमि में क्षेत्र के बड़े भूमाफियाओं द्वारा राजस्व अधिकारियों से मिलीभत कर जीवित वारिसों को मरा दिया और भूमि को हड़पने के फिराक में लगे हुए है जहाँ हल्का पटवारी देवांगन एवं कोटवार अनिल नामक व्यक्ति की भूमिका संदिग्ध है . उक्त गंभीर मामले की शिकायत जयपाल पिता कमोद सिंह ने करते हुए बताया कि उक्त खसरे की भूमि उनके शरीक खाते में दर्ज होती चली आ रही थी . जिसपर जयपाल पिता कमोद सिंह के साथ – साथ रतन सिंह , मंगल सिंह , एवं सुमेर सिंह का नाम दर्ज था . जिसे क्षेत्र के भूमाफियाओं , हल्का पटवारी परमेश्वर देवांगन , ग्राम कोटवार अनिल पनिका , एवं राजस्व अधिकारी द्वारा मिलभगत कर षड्यंत्र करते हुए खातेदार रतन सिंह , मंगल सिंह और समेर सिंह को निःसंतान बताकर झूठा प्रतिवेदन बनाकर आदेश कराया गया है . जबकि मृत खातेदारों को जिसको सरकारी रिकार्ड में मृत बताया गया है उनके लड़का , लड़की , और पत्नी जीवित है . ।
महत्वपूर्ण बात यह है कि उक्त मामले में संपूर्ण आदेश पत्रिका एक ही दिन में लिखी गई . आदेश पत्रिका के अलावा आवेदन ज्ञापन , इश्तहार , पटवारी प्रतिवेदन , पंचनामा एवं बयान एक ही व्यक्ति द्वारा बनाया गया है . जिसपर अगर राइटिंग एक्सपर्ट से जांच कराई जावे तो यह बात स्पष्ट भी हो जाएगी .
जबकि प्रकरण में प्रथम आदेश पत्रिका दिनांक 4 /4 /2022 में लिखा है की आवेदन के साथ शपथ पत्र प्रस्तुत है और दिनांक 27/4/2022 को प्रकरण आदेश के लिए नियत कर दिया गया है परंतु प्रकरण में संलग्न शपथ पत्र का स्टाम्प दिनांक 29/6/2022 को लेकर उसकी नोटरी दिनांक 30/6/2022 को करवाई गई है . तब इस बात से इंकार नही किया जा सकता कि उक्त मामले में राजस्व अधिकारियों को भूमाफियाओं द्वारा उपकृत किया गया होगा तब तो राजस्व अधिकारी भी भूमाफियाओ को खुला नियम कायदों को दरकिनार कर संरक्षण दे रहे है .।
आपको बता दे कि तहसील न्यायालय में आदेश पत्रिका लिखने का कार्य वाचक का होता है न पटवारी का तब सवाल यह उठता है कि अगर पटवारी ही आवेदन बनाएगा आदेश पत्रिका भी लिखेगा , और बयान भी लेगा तो वकील , वाचक तहसीलदार का क्या काम सारा कार्य पटवारी को ही सौप दिया जाना चाहिए . इससे यह साफ परिलक्षित होता है कि उक्त गंभीर मामले में हल्का पटवारी की भूमिका संदिग्ध है जिसके द्वारा निश्चित ही मोटी रकम लेकर अनैतिक कृत्य करते हुए झूठा प्रतिवेदन बना दिया गया .।
उक्त गंभीर षणयंत्र का मास्टर माइंड कौन है यह समझना ज्यादा मुश्किल नही है उक्त पूरे प्रकरण में सलंग्न स्टाम्प खरीदने वाले कि भूमिका भी बराबर की है मिली जानकारी अनुसार स्टॉम्प जिसके नाम से लिया गया वह क्षेत्र के बड़े भूमाफिया के नाम से प्रख्यात है . चूंकि इसके पहले भी उक्त माफियाओ द्वारा कुदरी की सरकारी बड़े झाड़ जंगल जमीन को कूटरचना कर रजिस्ट्री करवाई गई थी . जिसपर तमाम शिकायत अखबारों में प्रकाशन के बाद कार्यवाही नही होने से माफियाओ और राजस्व अधिकारियों के हौसले बुलंद है
वही मामले की शिकायत के बाद उम्मीद है कि मामले की जांच कर दोषियों पर कार्यवाही की जाएगी वरना न्याय का मंदिर तहसील तो वैसे भी माफियाओ का अड्डा बन चुका है .