govtLatest Newsmiddle position adsmy adsUncategorizedकोरबा न्यूज़छत्तीसगढ़ न्यूज़छत्तीसगढ़ स्पेशलदिल्लीदेश – विदेशबिज़नेसबिलासपुरब्रेकिंग न्यूज़विशेष समाचार

‘भारत बंद – चक्काजाम’ को सफल बनाने किसान सभा और माकपा ने की अपील/ गांव गांव में बैठक करके किया किसानों को जागरूक

छत्तीसगढ़ किसान सभा, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी एवं ट्रेड यूनियन ने संयुक्त रूप से कल 27 सितंबर को आयोजित ऐतिहासिक भारत बंद के आह्वान पर कोरबा जिले में भी चक्काजाम, रैली, प्रदर्शन को सफल बनाने की अपील की है। माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा है कि किसानों का ऐतिहासिक संघर्ष किसान विरोधी तीन कानूनों को खत्म करने व सभी किसानों व कृषि उत्पादों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की वैधानिक गांरटी का कानून बनाने के लिए है, लेकिन अब यह आंदोलन हमारी अर्थव्यवस्था को कॉरपोरेटों द्वारा हथियाने के खिलाफ तथा राष्ट्रीय सम्पदा, संघात्मक ढांचे व भारत की एकता की रक्षा और भारतीय लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने के लिए जारी राष्ट्रीय अभियान के केंद्र में आ गया है।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के जिलाध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर ने कहा कि किसान विरोधी कानूनों के खिलाफ देशव्यापी किसान संघर्ष के 10 माह पूरे होने जा रहे हैं। कोरोना संकट के दौरान किये गए दमनात्मक हमले भी इस आंदोलन की धार को कुंद नहीं कर पाए। मोदी सरकार ने जिस तरह श्रम कानूनों को निरस्त कर देश के मजदूरों को बंधुआ गुलामी की ओर धकेलने वाली चार श्रम संहिता को मजदूरों पर थोपा है, उसके कारण अब यह आंदोलन साझे मजदूर-किसान आंदोलन के रूप में विकसित हो रहा है, जिसका लक्ष्य इस देश को कॉरपोरेट गुलामी के चंगुल से बचाना है।

गांव-गांव में किसानों के, और शहरों व कस्बों में मजदूरों के साथ संयुक्त विरोध प्रदर्शन के साथ ही सड़कों पर चक्का जाम कर सार्वजनिक परिवहन व यातायात को भी बाधित किया जाएगा। जिले में मजदूर और किसान संगठन द्वारा इसकी योजना बनाई जा चुकी है।

 

किसान नेताओं ने बयान में कहा है कि यदि इस देश की आम जनता और विशेषकर मजदूरों और किसानों की क्रय शक्ति नहीं बढ़ती और इसके लिए मोदी सरकार इस आंदोलन द्वारा उठाई गई जायज मांगों को नहीं मानती, तो घरेलू मांग में और ज्यादा गिरावट आएगी तथा देश की अर्थव्यवस्था और ज्यादा संकट में फंसेगी। इस संकट से अडानी-अंबानी तो मालामाल होंगे, लेकिन करोड़ों लघु व्यवसायी बर्बाद हो जाएंगे।इसलिए किसान आंदोलन ने प्रदेश के मजदूर, व्यापारी, ट्रांसपोर्टर, व्यवसायी, छात्र, युवा, महिला संगठनों तथा सभी सामाजिक आंदोलनों से व राजनैतिक पार्टियों से विशेष अपील की हैं कि कल बंद के दिन किसानों व मजदूरों की मांगों का समर्थन करें।

किसान नेताओं ने कहा कि मोदी सरकार जिन नीतियों पर चल रही है, उसकी अभिव्यक्ति केवल राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं हो रही है, बल्कि स्थानीय समस्याओं के और जटिल होने के रूप में भी प्रकट हो रही है। इसलिए कल का आंदोलन वनाधिकार कानून, मनरेगा, विस्थापन और पुनर्वास, आदिवासियों के राज्य प्रायोजित दमन और 5वी अनुसूची और पेसा कानून जैसे मुद्दों को केंद्र में रखकर भी आयोजित किया जा रहा है।

भारत बंद को सफल बनाने के लिए किसान मजदूर कल सड़कों पर उतरेंगे और 27 सितंबर को बांकी सुतर्रा रोड पर चक्काजाम करेंगे जिसमें बड़ी संख्या में महिलाएं, किसान, मजदूर शामिल होंगे।