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गौरेला पेंड्रा मरवाही: लोक निर्माण विभाग व वन विभाग कलेक्टर कार्यालय से ऊपर: भाजपा जिला उपाध्यक्ष उपेंद्र बहादुर सिंह..

नया जिले में जनता से ज्यादा अधिकारियों को फायदा, हर योजना में करोड़ों का घपला

 

 

गौरेला पेंड्रा मरवाही: आम जनता की समस्याओं के निराकरण हेतु छत्तीसगढ़ शासन के द्वारा 2 वर्ष पूर्व जिला का गठन किया गया था लेकिन आम जनता को शासकीय योजना का लाभ नही मिल पा रहा है जनता से ज्यादा अधिकारियों को फायदा हो रहा है। हर योजना में खुलेआम अनियमितता हो रही है। प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से जानकारी देते हुये भाजपा के जिला उपाध्यक्ष उपेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि नये जिले गौरेला पेंड्रा मरवाही में शासन द्वारा हर माह अधिकारियो के वेतन, गाड़ी, बंगला में करोड़ों रूपये खर्च किये जा रहे है जिसका आकलन होना चाहिये कि आम जनता को उसका क्या लाभ मिल रहा है।

जिला बने आज दो साल पूरे हो गये अभी भी शासन द्वारा सिर्फ फर्नीचर खरीदी, अधिकारियों के बंगला की साज सज्जा ही चल रही है। कलेक्टर ऑफिस में आम

जनता के लिये बैठने तक की व्यवस्था नहीं । एक मरवाही विधानसभा व 62 बूथ कोटा विधानसभा का छोटा सा जिला जहाँ पहले एक अनुविभागीय अधिकारी से पूरा शासन का संचालन हो रहा था अब उतने ही क्षेत्र में कलेक्टर, 8 अतिरिक्त कलेक्टर, दो अनुविभागीय अधिकारी, पुलिस अधीक्षक अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, 2 एसडीओपी की पदस्थापना होने के बाद भी आम जनता की समस्याओं का निराकरण करने में जिला प्रशासन पूरी तरह से नाकाम है। आम जनता को शासन की योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है कलेक्टर कार्यालय में आम जनता के आवेदनों का निराकरण एक वर्ष बाद भी नहीं हो रहा है सिटीजन चार्टर का पालन नहीं हो रहा है कलेक्टर ऑफिस सिर्फ सील

मोहर आफिस बनके रह गया है। जिला कार्यालय में लगभग 5000 हजार आबेदन लंबित है। उपेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि सप्ताह में पांच दिन सिर्फ मीटिंग होती है और दो दिन छुटटी, धरातल में क्या हो रहा है इसे देखने का किसी के पास समय नहीं है। कलेक्टर व कंपोजिट बिल्डिंग में बैठे अधिकारी हर काम को टालते है। जैसे सिनेमाघरों में फिल्म बदलती है वैसे ही जिले में हर माह सीईओ, एसडीएम बदल जाते है । जिले के चारों दिशाओं में कभी रेत के नाम पर, कभी वाहन चेकिंग के नाम पर अधिकारियों, पुलिस यातायात पुलिस, राजस्व की टीम से आम जनता पस्त हो गई है । अराजकता का माहोल निर्मित हो रहा है अधिकारी तानाशाह होते जा रहे है। इस जिले में भृत्य भी लाखो की हेराफेरी कर रहे है।

लोक निर्माण विभाग व वन विभाग कलेक्टर कार्यालय से ऊपर है मुख्यमंत्री जन चौपाल आवेदन पर एक वर्ष बाद भी कोई निराकरण नहीं हो रहा है।

सिंह ने कहा कि नये जिले में जमीन के प्रकरण 50 प्रतिशत बढ़ गये है तहसील में लाखों रुपये का लेनदेन खुलेआम हो रहा है जिसके कारण अतिरिक्त कलेक्टर जैसे अधिकारी इस समय तहसीलदार के पद पर अपनी पोस्टिंग करवा रहे है। पहले जहां पूरे जिले में मात्र 3-4 सरकारी वाहन होते थे लेकिन वर्तमान में लगभग 50 सरकारी वाहन दौड़ रहे है डीजल के नाम पर हर माह करोडो रुपये खर्च किया जा रहा है कई विभाग के कर्मचारी शासकीय वाहन से सब्जी व किराना समान लेने जाते है। हर माह हजारों करोड़ रुपये अधिकारियों व कर्मचारियों के बेतन पर सरकार खर्च कर रही है लेकिन आम जनता को उसका लाभ नहीं मिल रहा है।