करोड़ो रूपये की लागत से बनी हाउसिंग बोर्ड कालोनी में पहुंच मार्ग नही..प्रयास कर रहे राजस्व अधिकारी पर स्वार्थी तत्वों द्वारा किया जाने लगा फर्जी मीडिया ट्रायल…
करोड़ों रूपये की लागत से बनी हाउसिंग बोर्ड कालोनी में पहुंच मार्ग नही..प्रयास कर रहे राजस्व अधिकारी पर स्वार्थी तत्वों द्वारा किया जाने लगा फर्जी मीडिया ट्रायल…
गौरेला पेंड्रा मरवाही: करोड़ों रुपए की लागत से बनी हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी में पहुंच मार्ग तक नहीं…. मरवाही.. यूं तो मरवाही आज छत्तीसगढ़ नक्शे में एक नए जिले का रूप ले चुका है विकास की बड़ी-बड़ी घोषणाएं भी हुई है पर धरातल पर अभी भी बहुत कुछ और करने को है। सड़क स्वास्थ्य पानी जैसे छोटी-छोटी समस्याओं से लोग यहां आज भी जूझते रहते हैं। कुछ ऐसे जगह आज भी हैं जहां पहुंच मार्ग भी नही है। ऐसा ही एक मामला मरवाही हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी का। जो आज लगभग 4 वर्षों के निरंतर प्रयास से बनकर तैयार है और कॉलोनी में अधिकारी कर्मचारी वर्ग के लगभग 40 परिवार निवास भी करते हैं।जिसमें प्रशासनिक अधिकारी से लेकर आला विभाग के परिवार एक ही छत के नीचे रहे हैं ।विडंबना यह है कि इस कालोनी में जाने के लिए आज भी पहुंच मार्ग उपलब्ध नहीं हो पाया है और हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी पहुंचने के लिए किसानों की निजी जमीन से होकर पहुंचा जाना पड़ता है । हाउसिंग बोर्ड में निवासरत अधिकारियों व कर्मचारियों के परिवार वालों की मांग पर मरवाही विधायक डॉ के के ध्रुव ने इस हाउसिंग बोर्ड में पहुंच मार्ग बनाने की मांग मुख्य मंन्त्री से की थी।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मरवाही विधायक डा केके ध्रुव की मांग पर 350 मीटर सीसी रोड निर्माण की स्वीकृति भी दे दी। विकास की संभावना को देखते हुए 20 फीट का रास्ता मुख्य मार्ग से कॉलोनी पहुंच मार्ग तक बनाने के लिए मरवाही तहसीलदार ने सड़क निर्माण की पक्रिया प्रारंभ कर दी। इसके लिए बकायदा किसानों को सूचना देकर बुलाने की प्रक्रिया भी चालू कर दी गई थी पर कुछ स्वार्थी तत्वों ने अन्य किसानों को भड़काना शुरु कर दिया और उल्टे राजस्व अधिकारी कर्मचारियों का फर्जी मीडिया ट्रायल कर उन्हे बदनाम किया जाने लगा। इससे आशंका है कि हाउसिंग बोर्ड पहुंच मार्ग के लिए बनने वाला रास्ता भी खटाई में न पड़ जाए। जिससे हाउसिंग बोर्ड के साथ साथ आसपास के लोगो में भारी आक्रोश है।
जनता कांग्रेस के ब्लॉक अध्यक्ष विनय चौबे
का कहना है की सड़क निर्माण के संबंध में प्रशासन के निर्णय का स्वागत किया जाना चाहिए। लगभग सभी किसान अपनी जमीन देने को तैयार हैं।