मरवाही वनमण्डल: घोटालेबाज लिपिक भूपेंद्र साहु का एक और बड़ा घोटाला..
वन मण्डल मरवाही का घोटालेबाज लिपिक भूपेंद्र साहु के एक और घोटाले का हुआ पर्दाफ़ाश
Gpm: वन मण्डल मरवाही अंतर्गत खोडरी वन परिक्षेत्र में पूर्व प्रभारी डीएफओ राकेश मिश्रा के कार्यकाल में लगभग 34 नग स्टापडेम/एनीकेट स्वीकृत हुए थे जिनको तात्कालिक डीएफओ राकेश मिश्रा के निर्देशानुसार स्थानीय व्यक्तियो को प्राथमिकता देते हुए सभी स्वीकृत कार्यों में मजदूरी संबंधित कार्य स्थानीय व्यक्तियो से कराने की बात भी तात्कालिक डीएफओ द्वारा कहा गया था इन सभी 34 कार्यों में ज्यादातर कार्य तो समय से पूर्ण हो गए लेकिन उनमे से कुछ कार्य बरसात आ जाने के कारण या तो अपूर्ण स्थिति में पड़े रहे या फिर शुरू ही नही हो सके जिनमे से 2 कार्य जो प्रारंभ ही नही हो सके थे
जिनकी लागत राशि करीब 30-30 लाख रुपए थी इन दोनों ही कार्यो में मटेरियल के साथ साथ करीब 9-9 लाख रुपए जो मजदूरी के थे उनको भी नियम विरुद्ध तरीके से कैम्पा शाखा में पदस्थ भूपेंद्र साहू द्वारा संबंधित फर्म के साथ सांठ गाँठ करके गबन कर लिया गया ऐसा नही है कि भूपेंद्र साहू के इस भ्रष्टाचार की जानकारी उच्चाधिकारियों को नही है बल्कि डीएफओ वन मण्डल मरवाही के पास इसकी लिखित शिकायत भी की गई लेकिन भूपेंद्र साहू के साथ साथ मामले में रेंजर परिहार सहित अन्य दोषियों के ऊपर अब तक डीएफओ के साथ साथ मुख्य वन संरक्षक एवं प्रधान मुख्य वन संरक्षक का मौन रहना समझ से परे है !
क्योंकि हाल ही में जब मनरेगा घोटाले में कार्य मे सिर्फ अनियमितता पाए जाने मात्र से बीट गॉर्ड, रेंजर सहित एसडीओ तक को निलंबित किया जा सकता है तो फिर बिना कार्य कराए शासकीय राशि का एक लिपिक द्वारा मटेरियल के साथ मजदूरी का भी गबन कर लिया जाता है और मामले की शिकायत भी होती है बावजूद इसके डीएफओ सहित सीसीएफ राजेश चंदेले पीसीसीएफ राकेश चतुर्वेदी सभी के ऊपर एक गंभीर सवाल तो खड़ा हो चुका है कि आखिर इन अधिकारियों के द्वारा लिपिक भूपेंद्र साहू सहित खोडरी के पूर्व रेंजर परिहार एवं दोषी बीट गार्डों पर अब तक कोई कार्यवाही क्यों नही किया गया है !
आखिर उच्चाधिकारियों के द्वारा इन भ्रष्ट कर्मचारियों पर कार्यवाही क्यों नही किया जा रहा ये सवाल अब तक बना हुआ है….!!