रूठा मानसून ,सूखे में बीत रहा सावन ,9 जिलों के 28 तहसील सूखाग्रस्त ,60 फीसदी से भी कम हुई बारिश
रूठा मानसून ,सूखे में बीत रहा सावन ,9 जिलों के 28 तहसील सूखाग्रस्त,60 फीसदी से भी कम हुई बारिश
राहत की कवायद शुरू ,शासन ने सभी कलेक्टरों को संयुक्त टीम बनाकर नजरी सर्वे का दिया आदेश
रायपुर: अल्पवर्षा की वजह से प्रदेश के 9 जिलों की 28 तहसीलों में अकाल के आसार बढ़ गए हैं। शासन ने 1 अगस्त 2022 की स्थिति में अल्प वर्षा और खंड वर्षा के कारण यह क्षेत्र सूखाग्रस्त घोषित किए गए हैं। इन तहसीलों में सूखाग्रस्त क्षेत्रों के मानदंड के अनुसार राहत मैन्युअल 2020 के प्रावधान के अनुसार फसलों का राजस्व ,कृषि तथा उद्यानिकी से नजरी आंकलन कराए जाएंगे। यही नहीं सूखा ग्रस्त के दायरे में आ रहे अन्य तहसीलों के लिए भी इसी तरह के निर्देश जारी कर प्रस्ताव मंगाए गए हैं। कोरबा के दर्री सहित अन्य जिलों में इसकी कवायद शुरू कर दी गई है।
यहां बताना होगा कि इस साल अल्पवर्षा की वजह से प्रदेश में सूखे के हालत बन आए हैं। शासन ने ऐसे तहसीलों की जानकारी मंगाई थी। जिसके परिपालन में 1 अगस्त 2022 की स्थिति में 60 प्रतिशत से कम औसत वर्षा दर्ज होने वाले 9 जिलों के 28 तहसीलों की रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। इन तहसीलों को शासन ने सूखाग्रस्त घोषित कर
राहत मैन्युअल 2020 के प्रावधान के अनुसार फसलों का राजस्व ,कृषि तथा उद्यानिकी से नजरी आंकलन कराए जाने का फरमान जारी किया है। साथ ही जिन तहसीलों में पूर्व में अधिक वर्षा हुई है लेकिन बाद में वर्षा नहीं होने के कारण फसल क्षति होने की संभावना है ,ऐसे तहसीलों का भी नजरी आंकलन कराया जाकर यदि सूखा घोषित किया जाना आवश्यक है ,तो नियमानुसार प्रस्ताव शासन को एक सप्ताह के भीतर भेजने के निर्देश दिए गए हैं।
सूखाग्रस्त तहसील एक नजर में
इन तहसीलो में सरगुजा जिले के लुण्ड्रा ,दरिमा,बतौली,अम्बिकापुर, मैनपाट व सीतापुर शामिल हैं। सूरजपुर जिले से प्रतापपुर,बिहारपुर,लटोरी शामिल हैं। बलरामपुर में सबसे ज्यादा तहसील प्रभावित हुए हैं। यहां शंकरगढ़,रामानुजंगज,राजपुर,बलरामपुर, कुसुमी,वाड्रफ़नगर सूखा ग्रस्त हैं। पूरे प्रदेश
सिंचाई परियोजनाओं के लिए,सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए सबसे अधिक फंड बलरामपुर को दिए जाते हैं उसके बावजूद ऐसे हालातों ने चिंता बढ़ा दी है।यही हाल जशपुर का भी है। यहां भी सिंचाई सुविधाओं के विस्तार के लिए एक बड़ी राशि दिए जाने के बावजूद 6 तहसील सूखाग्रस्त हैं। इनमें जशपुर ,दुलदुला ,पत्थलगांव ,सन्ना, कुनकुरी एवं कांसाबेल शामिल हैं। रायपुर जिले से रायपुर ,आरंग तहसील तो कोरिया जिले से सोनहत सूखाग्रस्त है। कोरबा जिले से दर्री तहसील ,बेमेतरा से बेरला एवं सुकमा जिले से गादीरास एवं कोंटा शामिल हैं।
कोरबा में दर्री तहसील सूखा ग्रस्त , महज 22 फीसदी बारिश
बात करें आदिवासी बाहुल्य कोरबा जिले के एकमात्र सूखा ग्रस्त तहसीलों में शामिल किए गए दर्री तहसील की तो यहां सालभर के कुल सामान्य औसत वर्षा 1323.60 मिलीमीटर की तुलना में 1 जून से लेकर 1 अगस्त तक महज 279.6 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज हुई है। इस तरह देखें तो महज 22 .7 फीसदी औसत वर्षा हुई है।यहां के किसानों के खेतों में लहलहाती फसलों की जगह सावन माह में मानसून की दगाबाजी से दरारें नजर आ रही। किसान परेशान हैं।अपनी आंखों के सामने सिंचाई सुविधा नहीं होने की वजह से साल भर की मेहनत और मुरझाते धान के पौधों को देख किसानों के चेहरे भी मुरझा गए हैं। किसान प्रशासन शासन की तरफ मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं।
हरदीबाजार ,पोंडीउपरोड़ा ,कोरबा में भी संकट
बात करें अन्य तहसीलों की तो दर्री के साथ साथ साथ हरदीबाजार और पोंडी उपरोड़ा में भी सूखे की स्थिति बन आई है। इन दोनों तहसीलों में 40 फीसदी से भी कम बारिश हुई है। बात करें हरदीबाजार की तो यहां सालभर के कुल सामान्य औसत वर्षा 1340.90 मिलीमीटर की तुलना में 1 जून से लेकर 1 अगस्त तक महज 339.8 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज हुई है।
इस तरह देखें तो महज 26 फीसदी औसत वर्षा हुई है। इसी तरह के हालात पोंडी उपरोड़ा के भी हैं। यहां सालभर के कुल सामान्य औसत वर्षा 1190.30 मिलीमीटर की तुलना में 1 जून से लेकर 1 अगस्त तक महज 361.6 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज हुई है। इस तरह देखें तो महज 31 फीसदी औसत वर्षा हुई है। कायदे से इन दोनों तहसीलों को सूखाग्रस्त तहसीलों की सूची में शामिल करने प्रस्ताव भेजने चाहिए। कोरबा तहसील में भी 47 फीसदी ही बारिश हुई है। इस लिहाज से कोरबा को भी सूखा ग्रस्त तहसीलों की सूची में रखा जाना चाहिए।यहां
यहां सालभर के कुल सामान्य औसत वर्षा 1401.20 मिलीमीटर की तुलना में 1 जून से लेकर 1 अगस्त तक महज 375.9 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज हुई है।
जिले में 31 फीसदी औसत वर्षा
बात करें पूरे कोरबा जिले के औसत वर्षा की तो जिले में सालभर के कुल सामान्य औसत वर्षा 1319.13 मिलीमीटर की तुलना में 1 जून से लेकर 1 अगस्त तक महज 435.8 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज हुई है।इस तरह जिले में इस साल सामान्य औसत वर्षा का 31 फीसदी ही वर्षा हुई है। जबकि गत वर्ष इस समयावधि में 892.17 मिलीमीटर औसत वर्षा दर्ज हो चुकी थी। सामान्य औसत वर्षा का 68 फीसदी बारिश हो चुकी थी। जिले में 81 हजार 760 हेक्टेयर में से 74 हजार 98 हेक्टेयर में लिए गए धान की फसल पर खतरा मंडरा रहा।
मानसून पर निर्भर रहती है खेती ,दीर्घकालिक सिंचाई परियोजनाओं पर काम की दरकार
कोरबा एक औद्योगिक जिला है ,यहां की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि सिंचाई सुविधा खेतों तक पर्याप्त रूप से नहीं पहुंच पाती। जिले में बांगो, हसदेव बराज सहित दर्जनों परियोजनाएं हैं लेकिन इनका लाभ ढलान क्षेत्र के ही किसानों को मिल पाता है। ऊपरी क्षेत्र होने की वजह से कोरबा के 80 फीसदी से अधिक किसानों के खेतों में मानसून का ही पानी पहुंच पाता है या फिर किसान अपने स्तर पर अन्य सिंचाई के साधन जुटाकर सिंचाई कर पाते हैं। निश्चित तौर कोरबा में दीर्घकालिक सिंचाई योजनाओं पर काम किए जाने की नितांत आवश्यकता है ताकि ऊपरी क्षेत्र को सिंचाई सुविधाओं का लाभ मिल सके। सूखे की स्थिति में किसानों को कुछ राहत मिल सके।
नजरी सर्वे कराएंगे,बारिश हुई तो सुधर सकते हैं हालात
कार्यालय कलेक्टर अधीक्षक भू -अभिलेख के माध्यम से रिपोर्ट शासन को भेजी गई है। अन्य तहसीलों के हालातों से भी अवगत करा दिया है। नजरी सर्वे कराकर हालात ऐसे ही रहे तो अन्य तहसीलों की रिपोर्ट भी शासन को भेजी जाएगी। हफ्ते भर के भीतर बारिश हुई तो धान की फसल बर्बाद नहीं होंगे। हालात सुधर सकते हैं। धान के बदले मौसम अनुरूप अन्य फसल लेने के लिए किसानों को प्रेरित करेंगे।
अनिल शुक्ला ,उपसंचालक कृषि कोरबा