आज़ादी के 75 साल में इन ग्रामीणों को नही मिला शुद्ध पेयजल, बांगो डुबान का पानी ही सहारा…
संतोष दीवान- कोरबा (CGNEWS365.COM) 15 अगस्त 2021- हम सभी के लिए शुद्ध पेयजल अतिआवश्यक है पर इन ग्रामीणों को पीने के लिए आज तक कभी शुद्ध जल नही मिल सका,
ये वही किसान हैं जिनकी जमीन बांगो डुबान में समाहित हो गई, छत्तीसगढ़ के सबसे बडे बांध का पानी इन किसानों की ज़मीन से होकर अन्य जिले को लाभ पहुंचा रही। आज यही ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं वर्षों बीत गए लेकिन एक हैण्डपम्प स्थापित नही हो सका।
हम बात कर रहे हैं कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा ब्लॉक के ग्राम पंचायत साखों का, यहां जिल्दा मोहल्ला, पटेल पारा व रनई पहाड़ बस्ती के ग्रामीणों को बरसों बाद भी पीने का शुद्ध पानी नसीब नही हो रहा है। मजबूर ग्रामीण हर मौसम में डुबान का पानी लाकर पीते हैं, इन बस्तियों में कोई भी सामाजिक कार्यक्रम हो तो यहाँ की महिलाएं दूरी तय कर पानी ढोती हैं।
इस समस्या की हकीकत जानने सरपंच से सम्पर्क किया गया तो उन्होंने बताया कि गाँव के दो से तीन बस्तियों में आज पर्यन्त तक हैंडपंप की उपलब्धता नही हो सकी है। इन बस्तियों तक बोर खनन का वाहन नही पहुंच पाता इस वजह से समस्या है।
आजादी के 75 साल में आधुनिकता आसमान में चाँद तक पहुंच गया पर इस गाँव में बोर खनन के लिए वाहन न पहुंच सका न ही कोई दूसरा रास्ता अपनाया गया। इन गरीब परिवारों को अपनी स्वास्थ्य से समझौता करते हुए बांगो डुबान के पानी को निस्तारी के साथ खाने पीने के लिए उपयोग करना पड़ रहा है। विकास का गाथा गढ़ने वाली सरकारों का ध्यान इस बस्ती तक नही पहुंची यही वजह है ग्रामीण आज भी पेयजल जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं।
ग्रामीणों की सुने…
मुझे शादी के बाद ससुराल पहुंचे करीब 40 साल हो गए, तब से लेकर आज तक हमारे बस्ती में हैण्डपम्प नही लग पाया इसलिए बांगो डुबान का पानी पीते हैं।
सुकवारो बाई
नल नही होने से पेयजल की समस्या तो विकराल है, अगर हम हैंडपंप का पानी पीना हो तो दो से तीन किलोमीटर दूर लरला बस्ती जाना पड़ेगा। मजबूरी में बांगो डुबान का पानी ही पी। रहे हैं।
सुरेंद्र मंझवार
बस्ती के लोग हमेशा से शुद्ध पेयजल के प्यासे रहे हैं, बांगो डुबान का पानी पीने से कई स्वास्थ्य समस्याएं आती हैं फिर भी हालात के साथ स्वास्थ्य से समझौता कर जीवन यापन कर रहे हैं।
छोटेलाल
हैंडपंप नही होने से डुबान का पानी पीने से लेकर अन्य कार्यों में उपयोग करते हैं, बांगो डुबान में हमारी जमीन समाहित हो गई लेकिन एक हैंडपंप नही मिला, जिससे हमें शुद्ध पेयजल मिल सके।
समार साय
प्रशासन से उम्मीद…
भले ही इन ग्रामीणों को आजादी के 75 साल बाद शुद्ध पेयजल नसीब न हो सका हो लेकिन इन ग्रामीणों के हौसले बुलंद हैं। इन्होंने हालात से समझौता कर जीना सीख लिया है।
ये ग्रामीण कहते हैं कि हमारे गांव से कोरबा की दूरी 80 किलोमीटर है इस वजह से हम नही पहुंच पाते शायद प्रशासन हमारी बस्ती में एक नज़र झांक कर देख लें तो समस्याओं का निराकरण हो जाता।
बहरहाल पेयजल समस्या से जूझ रहे बस्ती वालों को शासन प्रशासन से उम्मीद बंधी है कि कभी तो हैंडपंप लगाया जाएगा जिससे ये गंभीर पेयजल संकट दूर हो सके।