सावरकर पर बहस तेज : मोहन भागवत और राजनाथ ने तारीफ की, असदुद्दीन ओवैसी बोले- ऐसा ही रहा तो ये गांधी की बजाय सावरकर को राष्ट्रपिता बना देंगे
वीर सावरकर को लेकर सियासी बयानबाजी तेज हो गई है। RSS प्रमुख मोहन भागवत और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के सावरकर पर दिए बयान पर AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने निशाना साधा है। दरअसल भागवत और राजनाथ ने मंगलवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि वीर सावरकर को बदनाम करने के लिए आजादी के बाद से ही मुहिम चल रही है। इस पर ओवैसी ने कहा है कि इतिहास को तोड़-मरोड़ कर पेश किया जा रहा है। अगर ऐसा ही रहा तो एक दिन वे महात्मा गांधी की बजाय सावरकर को राष्ट्रपिता बना देंगे।
इतना ही नहीं ओवैसी ने ये भी कहा कि सावरकर ने अपनी रिहाई के लिए अंग्रेजों को माफीनामे के खत लिखे थे। यहां तक कि सावरकर पर महात्मा गांधी की हत्या की साजिश में शामिल होने के आरोप थे और जस्टिस जीवन लाल कपूर की जांच में भी ये बात कही गई थी।
भागवत ने कहा- सावरकर को लेकर जानकारी की कमी
दरअसल मोहन भागवत ने मंगलवार को कहा था कि वीर सावरकर को लेकर भारत में जानकारी का अभाव है। उनके बाद स्वामी विवेकानंद, स्वामी दयानंद सरस्वती और योगी अरविंद को बदनाम करने का नंबर लगेगा, क्योंकि सावरकर इन तीनों के विचारों से प्रभावित थे। भागवत ने कहा कि सैयद अहमद को मुस्लिम असंतोष का जनक कहा जाता है। इतिहास में दारा शिकोह और अकबर हुए पर औरंगजेब भी हुए, जिन्होंने चक्का उल्टा घुमाया। भागवत ने ये बात दिल्ली में सावरकर पर लिखी एक किताब के विमोचन कार्यक्रम में कही थी।
इसी कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी कहा था कि सावरकर के खिलाफ ये झूठ फैलाया जा रहा है कि उन्होंने अंग्रेजों से माफी मांगी थी। इसके उलट सच्चाई ये है कि उन्होंने कानूनी अधिकार के तहत और महात्मा गांधी के कहने पर ही अंग्रेजों के सामने अर्जी दी थी ताकि जेल से रिहा हो सकें और आजादी के आंदोलन में शामिल हो सकें। वे भारतीय इतिहास के आइकॉन हैं और रहेंगे। उन्हें लेकर मतभेद हो सकते हैं, लेकिन उन्हें कमतर समझना सही नहीं है।