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छत्तीसगढ़/ कुपोषण मुक्त कोरबा बनाने की मंशा पर लग रहा पलीता/मासूमो के निवाले पर समूहों ने डाला डाका

छत्तीसगढ़/ कुपोषण मुक्त कोरबा बनाने की मंशा पर लग रहा पलीता/मासूमो के निवाले पर समूहों ने डाला डाका

गौरतलब है कि महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा संचालित आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से कुपोषण के खिलाफ जंग लड़ी जा IT रही है। जिले में 10 सेक्टरों के 2 हजार 539 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से 6 माह से 6 वर्ष के बच्चों, गर्भवती शिशुवती माताओं को सुपोषण अभियान के तहत विभिन्न पोषण आहारों से लाभान्वित किया जा रहा है। 6 माह से 3 वर्ष के बच्चों को प्रति मंगलवार के आधार पर माह के पहले एवं तीसरे मंगलवार को 2-2 पैकेट माह में 5 मंगलवार पड़े तो दूसरी बार 3 पैकेट गेंहू, चना, शक्कर, मूंगफली, सोया तेल के मिश्रण से बने रेडी टू ईट दिए जाने का प्रावधान है। आकांक्षी जिला में शामिल होने की वजह से 1 से 3 वर्ष के गंभीर एवं सामान्य कुपोषित बच्चों के लिए जिला खनिज संस्थान न्यास (डीएमएफटी) के माध्यम से भी जंग लड़ी जा रही है।

डीएमएफटी से संचालित प्रबल एवं सुपोषित जननी योजना के तहत विशेष पोषण आहार की कार्ययोजना तैयार की गई है, ताकि जल्द से जल्द बच्चे कुपोषण की गिरफ्त से बाहर निकल सकें। बच्चों को नारियल लड्डू, फल, अंडा देने के बाद तिल गुड़ एवं सोया से निर्मित चिकी पापड़ी दी जा रही है। पैकेट बंद यह पापड़ी राज्य शासन से सीधे आपूर्ति की जा रही है। हेल्दी स्नैक्स प्रायवेट लिमिटेड खरमोरा रायपुर के माध्यम के द्वारा प्रदेश के जिला, परियोजना कार्यालय के माध्यम से आंगनबाड़ी केंद्रों में पौष्टिक चिकी आपूर्ति की जा रही है। 3 से 6 वर्ष के नियमित आंगनबाड़ी केंद्र आने वाले बच्चों को रेडी टू ईट व अन्य सामग्री का अलग अलग विधि से दिनवार नाश्ता और गरम भोजन दिए जाने का प्रावधान है। गर्भवती महिलाओं को 6 माह से 3 वर्ष के बच्चों की तरह लाभान्वित किया जाना है। इस तरह जिले में इन तमाम सुपोषण योजनाओं के तहत तकरीबन डेढ़ लाख हितग्राही लाभान्वित हो रहे हैं। जिनके लिए प्रतिवर्ष पूरक पोषण आहार योजना और डीएमफटी से प्राप्त आबंटन को देखें तो तकरीबन 60 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। इतनी बड़ी राशि खर्च करने के बाद भी

जमीनी स्तर पर व्यापक पैमाने पर स्व सहायता समूह और जिम्मेदार अधिकारी हितग्राहियों को योजनाओं का समुचित लाभ न दिलाकर शासन की कुपोषणमुक्त छत्तीसगढ़ की मंशा पर पानी फेरने में तुले हुए हैं। शासन ने प्रदेश में बढ़ते कोरोना संक्रमण को देखते हुए स्कूल कॉलेज के साथ आंगनबाड़ी केंद्रों का संचालन आगामी आदेश पर्यन्त बन्द कर दिया है। आंगनबाड़ी केंद्रों में बच्चों को 320 दिवस टीएचआर दिया जाना अनिवार्य रहता है ..

इन केन्द्रों में रेडी टू ईट में जमकर भ्रष्टाचार

पसान परियोजना के अमली कुंडा, लैंगा, पसान, कर्री में हितग्राहियों को रेडी टू ईट नहीं बांटा जाता है। पॉडी उपरोड़ा परियोजना के जटगा, रावा, तुमान में भी रेडी टू ईट प्रदाय नहीं किया जाता। चोटिया परियोजना के मोरगा सेक्टर में भी कमोबेश यही स्थिति नजर आई। जिला मुख्यालय से 100 किलोमीटर दूर पसान परियोजना के कर्री सेक्टर के आंगनबाड़ी केंद्र चंद्रोटी, तुलबुल, पसान के पसान लोकडहा, कोटमर्रा के केंद्रों में टीएचआर का वितरण नहीं किया गया था। लैंगा के लैंगा, रामपुर (लोकडहा) में मासूम टी एच आर से वंचित रह गए। अमलीकुंडा में भी वितरण नहीं किया गया था। वहीं पोंडी उपरोड़ा परियोजना में भी कमोबेश यही तस्वीर नजर आई।

यहां जटगा सेक्टर के मातिन घोघरापारा, घुमानीडांड़, जटगा में हितग्राहियों को रेडी टू ईट नहीं बंटा। रावा, तुमान सेक्टर में भी कमोबेश यही स्थिति नजर आई। चोटिया परियोजना के मोरगा सेक्टर के पतुरियाडांड, मोरगा में भी समूहों ने मासूमों को पोषण आहार से.. वंचित कर दिया। चोटिया परियोजना के पाली, कोरबी पोंडी के पुटीपखना, तनेरा सेक्टर के कई केंद्रों में टीएचआर प्रदाय नहीं किया गया।

माह में बंटता है महज 2 टीएचआर, फिर भी भुगतान पूरा

लगभग सभी जगह हितग्राहियों ने बताया कि माह में 4 से 5 मंगलवार पड़ने के बावजूद उन्हें महज 2 मंगलवार के हिसाब से 2 पैकेट रेडी टू ईट दिया जा रहा है। इस तरह हितग्राहियों की मानें तो 50 फीसदी सामग्री वितरण कर शत प्रतिशत वितरण दर्शाकर पर्यवेक्षक एवं अधिकारियों के साथ सांठ-गांठ कर नोनिहालों के निवाले पर डाका मारकर फर्जी बिल प्रस्तुत करते हुए शासन से लाखों का पूरा भुगतान लिया जा रहा है। प्रत्येक सेक्टर को माह में डेढ़ लाख से अधिक का भुगतान होता है। बावजूद निर्धारित दिन और तिथि के अनुसार पोषण आहार का वितरण नहीं होने के कारण मासूमों का बचपन कुपोषण की गिरफ्त में जकड़ा जा रहा है।