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आज का इतिहास:आज उस कम्युनिस्ट नेता की पुण्यतिथि, जो 23 साल CM रहे; तीन बार PM बनते-बनते रह गए

आज का इतिहास:आज उस कम्युनिस्ट नेता की पुण्यतिथि, जो 23 साल CM रहे; तीन बार PM बनते-बनते रह गए

देश में पश्चिम बंगाल की राजनीति पर जब भी चर्चा होगी तो ज्योति बसु का नाम जरूर आएगा। वे 23 साल तक पश्चिम बंगाल के CM रहे। उनकी आज पुण्यतिथि है। उनका जन्म पूर्वी बंगाल (अब बांग्लादेश) के एक समृद्ध मध्यवर्गीय परिवार में 8 जुलाई 1914 को हुआ था,,उन्होंने कोलकाता के एक कैथोलिक स्कूल और सेंट जेवियर्स कॉलेज से पढ़ाई की। इसके बाद वकालत की पढ़ाई लंदन में की। रजनी पाम दत्त जैसे कम्युनिस्ट नेताओं से संबंधों के चलते उन्होंने 1930 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया की सदस्यता ली।

बसु रेल कर्मचारियों के आंदोलन में शामिल होने के बाद पहली बार में चर्चा में आए। वर्ष 1957 में पश्चिम बंगाल विधानसभा में वे विपक्ष के नेता चुने गए। 1967 में बनी वाम मोर्चे वाली संयुक्त मोर्चा की सरकार में बसु को गृहमंत्री बनाया गया, लेकिन नक्सलवादी आंदोलन के चलते राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया और वह सरकार गिर गई। इसके बाद 1977 के चुनाव में जब वाम मोर्चा को विधानसभा में पूर्ण बहुमत मिला तो ज्योति बसु मुख्यमंत्री चुने गए। इसके बाद उन्होंने लगातार 23 साल तक पश्चिम बंगाल के मुख्यमंत्री के रूप में काम किया।

पीएम नहीं बनने को सबसे बड़ी भूल बताया

बसु की जीवनी लिखने वाले सुरभि बनर्जी ने अपनी किताब में बताया है कि ज्योति बसु प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। उन्हें एक नहीं 3 बार प्रधानमंत्री बनने का ऑफर मिला। दो बार प्रधानमंत्री बनने का ऑफर ठुकरा चुके ज्योति बसु, 1996 में तीसरी बार प्रधानमंत्री बनना चाहते थे। उस दौरान उन्होंने कहा था कि अगर पार्टी अनुमति देगी तो प्रधानमंत्री बनूंगा, लेकिन पार्टी ने उन्हें मंजूरी नहीं दी। इसी के साथ उनका प्रधानमंत्री बनने का सपना अधूरा रह गया। इस फैसले को उनकी पार्टी की सबसे बड़ी भूल बताया जाता है।

96 साल की उम्र में 17 जनवरी 2010 को ज्योति बसु का कोलकाता में निधन हुआ था।