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हाईकोर्ट के फैसले के पहले डीपीओ ने संचालक के आदेश पर समूह चयन की प्रकिया ,विज्ञापन किया निरस्त ,300 से अधिक आवेदनकर्ता समूहों में निराशा..

रेडी टू इट फ़ूड निर्माण के लिए आवेदन मंगाया ,दावा आपत्ति भी मंगाई ,अब हाईकोर्ट के फैसले के पहले डीपीओ ने संचालक के आदेश पर समूह चयन की प्रकिया ,विज्ञापन किया निरस्त ,300 से अधिक आवेदनकर्ता समूहों में निराशा

 

 

कोरबा: पूरक पोषण आहार व्यवस्था अंतर्गत रेडी टू ईट फूड निर्माण का कार्य 1 अप्रैल से महिला स्व सहायता समूहों की जगह राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के हवाले हो जाएगी। स्वचलित मशीनों के माध्यम से तैयार रेडी टू ईट बच्चों तक पहुंचेगा। इसके पहले ही संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग के आदेश के परिपालन में अनुबंध समाप्ति उपरांत 91 सेक्टरों में रेडी टू इट फ़ूड निर्माण हेतु समूह चयन संबंधी कार्रवाई एवं विज्ञापन को जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने निरस्त कर दिया है। इस आदेश के बाद योजना के संचालन के लिए इच्छुक आवेदन करने वाले 300 से अधिक समूहों के अरमानों पर पानी फिर गया।

यहां बताना होगा कि महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 6 माह से 6 वर्ष के नोनिहालों ,किशोरियों,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण के लिए कार्य किया जा रहा है। वर्तमान व्यवस्था में स्थानीय महिला स्व सहायता समूहों के माध्यम से रेडी टू ईट कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा है। गेहूं ,सोया ,चना ,मूंगफली मिश्रित पौष्टिक पोषण आहार रेडी टू ईट 3 वर्ष तक के बच्चों ,गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के लिए प्रत्येक मंगलवार को दिए जाने का प्रावधान है ताकि उन पर कुपोषण की काली छाया न पड़े ,कुपोषित हितग्राही इसके दायरे से बाहर निकल सकें। पिछले डेढ़ साल से 5 वर्ष की अनुबंध अवधि स्व सहायता समूहों का समाप्त हो चुका है। लिहाजा जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने सभी 91 सेक्टरों में नए सिरे से समूह चयन की कवायद शुरू कर दी गई थी। विज्ञापन जारी कर सभी 91 सेक्टरों के लिए आवेदन आमंत्रित किए गए थे । जिसमें से 40 सेक्टरों के लिए दावा आपत्ति भी जारी कर दिया गया था। इसी बीच 24 दिसंबर 2021 को छत्तीसगढ़ शासन ने द्वारा कैबिनेट में लिए गए निर्णय अनुसार 1 फरवरी से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के माध्यम से स्वचलित मशीनों के माध्यम से रेडी टू ईट का उत्पादन करने का निर्णय लिया था। इसके पीछे शासन ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाईन का हवाला दिया है जिसमें मानव स्पर्श रहित गुणवत्ता युक्त आवश्यक पोषक तत्वों से भरे रेडी टू ईट बच्चों की सेहत के लिए उपयुक्त बताया गया है। हालांकि सरकार के इस फैसले से पिछले करीब डेढ़ दशक से रेडी टू ईट का निर्माण कर रहीं स्व सहायता समूह के हाथों से रोजगार छीन जाएगा। 20 हजार से अधिक महिलाएं सीधे तौर पर इससे प्रभावित होंगी।लाखों रुपए कर्ज लेकर विषम परिस्थितियों में भी स्व सहायता समूहों की महिलाओं ने योजना का सुचारू संचालन किया। शासन के फैसले के खिलाफ कवर्धा ,कोरबा ,सूरजपुर सहित कई जिलों में रैली निकाल कलेक्ट्रेट का घेराव कर विरोध जताया गया था । राज्यपाल एवं मुख्यमंत्री के नाम आदेश को वापस लेने ज्ञापन सौंपा गया। विपक्षी दल भाजपा भी सत्ता पक्ष के इस निर्णय को लेकर हमलावर रही। सदन में हंगामा व बहिर्गमन तक किया गया। केंद्रीय राज्य मंत्री रेणुका सिंह ने सीधे खुले मंच से मुख्यमंत्री पर चहेतों को काम देने 20 हजार महिलाओं को बेरोजगार करने के गम्भीर आरोप लगाए। इधर शासन के फैसले के विरुद्ध स्व सहायता समूहों ने हाईकोर्ट में याचिका भी दाखिल कर दी। इस मामले में चरणबद्ध सुनवाई हो रही है। लिहाजा बीज निगम की स्थापित इकाइयों हाईकोर्ट में याचिका लगे होने की वजह से वो जोखिम नहीं उठा सकी। जिसे देखते हुए महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन ने वित्तीय वर्ष की समाप्ति 31 मार्च तक रेडी टू ईट के लिए वर्तमान प्रचलित व्यवस्था का विस्तार कर दिया है। अवकाश पर गईं सचिव रीना बाबा साहेब कंगाले ने इस आशय के आदेश जारी कर दिए थे।लेकिन हाल ही में बजट सत्र में विपक्ष के इस मुद्दे पर हंगामे के बाबजूद सरकार फैसले पर अडिग है। 1 अप्रैल से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाईयों के स्वचलित मशीनों के माध्यम से तैयार रेडी टू ईट बच्चों तक पहुंचेगा।इधर संचालक महिला एवं बाल विकास विभाग छत्तीसगढ़ शासन के आदेश के परिपालन में 91 सेक्टरों में रेडी टू इट फ़ूड निर्माण हेतु समूह चयन संबंधी कार्रवाई एवं विज्ञापन को जिला कार्यक्रम अधिकारी महिला एवं बाल विकास विभाग ने निरस्त कर दिया है।

तो पुराने समूह ही करेंगे कार्य

समूहों द्वारा राज्य सरकार के फैसले के विरुद्ध हाईकोर्ट में दायर याचिका की 21 मार्च को सुनवाई होगी। अगर फैसला समूहों के पक्ष में जाता है या प्रकरण में फैसला एक दो माह तक और सुरक्षित रखा जाता है तो ऐसी स्थिति में पूर्व आदेश के तहत वर्तमान स्व सहायता समूह ही पूर्ववत व्यवस्था के तहत समूहों का संचालन करेगी। बावजूद इसके कि सभी समूहों का अनुबंध अवधि डेढ़ साल पूर्व ही समाप्त हो गई है । निश्चित तौर पर ये आवेदन करने समूहों के लिए निराशा व पुराने समूहों के लिए क्षणिक ही सही किसी सौगात से कम नहीं होगी।