कोरबा: बालको प्रबंधन खा रहा मलाई, जनता राखड़ खाने को मजबूर…
बालको प्रबंधन खा रहा मलाई, जनता राखड़ खाने मजबूर
शहर से लेकर गांव तक बिना एनओसी राखड़ डम्प कर ब्लैक स्मिथ कंपनी ने जीना किया दुश्वार ,जिम्मेदार अधिकारियों ने साधी चुप्पी
कोरबा: बालको के पॉवर प्लांट से उत्सर्जित राखड़ को एश डाइक (राखड़ बांध ) से अन्यत्र परिवहन में लगी ठेका कंपनी ब्लैक स्मिथ कार्पोरेशन माइनिंग एंड एलाईड प्राइवेट लिमिटेड जिले की फिजा को जहरीली बनाने आमादा है । बिना पर्यावरण विभाग के एनओसी के इस कम्पनी ने मुख्य मार्ग , शहर को जोड़ने वाली गांव की सड़कों
से लेकर स्टेट हाइवे में जगह जगह मनमाने ढंग से सैकड़ों हाइवा राखड़ गिरा दिया है।जो इन मार्गों से गुजरने वाले लोगों की श्वासों के जरिए फेफड़ों तक पहुंचकर उन्हें धीरे धीरे मौत के कगार पर ले जा रही है। संबंधित कंपनी को जिले की फिजा को बर्बाद करने की अनुमति देने वाले जिम्मेदार अधिकारियों ने कार्रवाई की जगह चुप्पी साध रखी है ।
यहां बताना होगा कि बालको के लिए ताप विद्युत संयत्रों 4 गुणा 135 मेगावाट बालको कैप्टिव पॉवर प्लांट एवं 4 गुणा 300 मेगावाट थर्मल पॉवर प्लांट से उत्सर्जित राखड़ का सुरक्षित निपटान एवं उपयोगिता सुनिश्चित कर पाना एक बड़ी चुनौती बना हुआ है। बालको के पावर प्लांट से उत्सर्जित वाले राखड़ के सुरक्षित भंडारण के लिए एश डाइक नाकाफी साबित हो रहा है। वहीं पर्यावरण विभाग सभी उद्योगों को राखड़ की शत-प्रतिशत उपयोगिता सुनिश्चित करने की दिशा में लगातार शासन के नियमों का हवाला देते हुए दबाव बना रहा है । लिहाजा शासन की भावी कार्यवाही से बचने बालको प्रबंधन ने नए राखड़ बांध के लिए भू -अर्जन की अत्यधिक खर्चे व कानूनी पचड़े से बचने अपने एश डाइक से राखड़ का अन्यत्र परिवहन करने का तरीका ढूंढ निकाला है। बालको ने ब्लैक स्मिथ कार्पोरेशन माइनिंग एंड एलाईड प्राइवेट लिमिटेड को यह कार्य सौंपा है। लेकिन संबंधित ठेका कंपनी सारे नियम कायदों को ताक में रखकर बिना पर्यावरण विभाग के एनओसी के शासकीय से लेकर निजी भूमि में बालको के एश डाइक का राखड़ डम्प कर रही है। पर्यावरण विभाग ने निजी भूमि पर राखड़ फिलिंग के लिए वित्तीय वर्ष 2020 -21एवं वित्तीय वर्ष 2021 -22 में एक दर्जन से भी कम एनओसी जारी किए हैं । प्रखर समाचार के पास इसके दस्तावेज उपलब्ध हैं। बाबजूद इसके शहर से लगे 20 से 25 किलोमीटर तक के दायरे में शायद ही कोई क्षेत्र होगा जिसके मुख्य मार्ग में राखड़ न गिराई गई हो। खासकर शहर से निकलते ही रिस्दी से बरबसपुर बाइपास मार्ग ,कचंदी नाला मोड़ से ढेलवाडीह नवनिर्मित बाइपास मार्ग ,भैसमा से नोनबिर्रा स्टेट हाइवे मार्ग,ग्राम सराईडीह , कोरबा -चाम्पा मुख्य मार्ग के किनारे अजगरबहार आदि क्षेत्र में इसके प्रमाण देखे जा सकते हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर किसकी शह पर यह कंपनी मनमानी पर उतर आई है। और जिम्मेदारों के हाथ आखिर क्यों बंध गए। सूत्रों की मानें सत्ता के गलियारों तक पहुंच रखने वाले इस कंपनी पर कार्रवाई करने जिम्मेदारों के हाथ कांप रहे। यही वजह है कोरबा की जनता को जहरीली फिजा के बीच जीने विवश किया जा रहा है।
एसडीएम कार्यालय को सूचना के अधिकार से नहीं है सरोकार ,अनुमति की नहीं दी जानकारी ,उठे सवाल आखिर क्यों मेहरबान
हैरान करने वाली बात तो यह है कि ब्लैक स्मिथ कार्पोरेशन माइनिंग एंड एलाईड प्राइवेट लिमिटेड को राखड़ फिलिंग करने वित्तीय वर्ष 2020 -21 एवं 2021 -22 में दी गई अनुमति सम्बंधी जानकारी एसडीएम कार्यालय कोरबा छुपा रहा है। 8 फरवरी 2022 को मांगी गई जानकारी आज पर्यंत उपलब्ध नहीं कराई गई। दरअसल पर्यावरण विभाग के एनओसी के बगैर दर्जनों अनुमति एसडीएम कार्यालय से जारी किए जा चुके हैं जिसकी पोल खुल जाने के डर से जानकारी छुपाई जा रही है। कांग्रेस शासनकाल में आम जनता को सूचना के अधिकार के रूप में दिए गए हथियार कोरबा में कांग्रेस शासनकाल में ही किसी काम की नहीं रही। बहरहाल राजस्व मामलों के निराकरण में फिसड्डी रहने वाले ,सतरेंगा की फिजा को बर्बाद करने की अनुमति देने वाले ,मैदानी अमलों की कार्यशैली में सुधार नहीं ला पाने वाले कोरबा अनुविभाग के ऐसे कृत्य ने कोरबा की छवि एक बार फिर खराब की है।
जानें फ्लाई एश कितना नुकसानदेह फ्लाई ऐश में मौजूद घटक पानी को विषैला बना देते हैं. इसमें भारी धातु, सिलिका, एल्यूमीनियम और कैल्शियम के ऑक्साइड, आर्सेनिक, बोरान, क्रोमियम तथा सीसा, पॉर्टिकुलेट मैटर (पीएम) 2.5 और ब्लैक कार्बन होते हैं, जो हवा के साथ उड़ते हुए 20 किमी तक फैल जाते हैं। नदी, नाले और तालाबों का पानी भी इससे जहरीले हो जाते हैं।फ्लाई एस यानी राखड़ वह राख होती है जो कोयले के जलाए जाने के बाद निकलती है । जिले में सभी थर्मल पावर प्लांट कोयले पर आधारित हैं ।स्थानीय कोयले की खानों से यहां पर कोयला पहुंचाया जाता है और उसी कोयले को जलाकर ऊर्जा पैदा की जाती है। राखड़ पाउडर की तरह होती है जो पावर प्लांट की फर्नेस के निचले भाग में एकत्र हो जाती है । इस राख में आर्सेनिक, पारा यानी मरकरी ,शीशा यानी लेड, वैनेडियम, थैलियम मॉलीबेडनम, कोबाल्ट,मैंगनीज, बेरीलियम ,बेरियम एंटीमनी एल्युमिनियम, निकेल, क्लोरीन और बोरान जैसे तत्व पाए जाते हैं इन्वारेंटल प्रोटेक्शन एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार इनमें से अधिकांश तत्व हेवी मेटल यानी भारी धातु है ,जिनकी जद में निरंतर आने से किसी भी व्यक्ति को कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी हो सकती है यानी एश -पाण्ड के आसपास रहने वाले लोगों को हमेशा गंभीर बीमारी का खतरा बना रहता है।