मूल सीईओ को दें प्रभार नहीं तो 30 से जनपद पंचायत कार्यालय में जड़ेंगे ताला…
मूल सीईओ को दें प्रभार नहीं तो 30 से जनपद पंचायत कार्यालय में जड़ेंगे ताला
कोरबा: चिकित्सा अवकाश उपरांत वापस आ चुके जनपद सीईओ करतला एम एस नागेश को प्रभार न देकर भष्ट्र एवं विवादित कार्यशैली के आदिवासी विकास विभाग के मंडल संयोजक एच एन खोटेल को जनपद सीईओ के प्रभार से नहीं हटाना भारी पड़ रहा। जिला प्रशासन (परियोजना प्रशासक ) के इस हैरान कर देने वाले निर्णय के विरोध में जनपद पंचायत करतला के सरपंच शुक्रवार से बेमियादी धरने पर बैठ गए । सरपंच संघ करतला के बैनर तले आंदोलनरत सरपंचों ने पुनः कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर प्रभारी सीईओ को हटाकर मूल सीईओ को शीघ्र प्रभार नहीं दिए जाने पर 30 मई से जनपद पंचायत कार्यालय करतला में तालाबंदी की चेतावनी दी है
बताना होगा कि जनपद पंचायत करतला के सीईओ एम एस नागेश के 25 अप्रैल से चिकित्सा अवकाश पर होने के फलस्वरूप स्थानीय व्यवस्था के तहत क्षेत्र संयोजक एच एन खोटेल को आगामी आदेश पर्यंत सीईओ जनपद पंचायत करतला का प्रभार दिया गया था। 25 अप्रैल को ही कलेक्टर ने यह आदेश जारी किया था। लेकिन ठीक इसके दो दिन बाद 28 अप्रैल को एक बार फिर रामपुर विधायक ननकीराम कंवर प्रशासन के इस फैसले के खिलाफ आ गए। उन्होंने कलेक्टर को पत्र लिखकर एच एन खोटेल को मूल पद क्षेत्र संयोजक के पद पर वापस भेजने की बात कही थी । कलेक्टर को लिखे पत्र में श्री कंवर ने उल्लेख किया था कि एच एन खोटेल को जब जनपद पंचायत कटघोरा सीईओ के रूप में पदस्थ किया गया था तो उनका कार्यकाल लोगों से विवादित व अल्पवधि का रहा । यही वजह है कि जनपद पंचायत करतला क्षेत्र के 40 से 45 सरपंचों का जत्था उनके समक्ष उपस्थित होकर एच एन खोटेल को मूल विभाग में वापस कराने कलेक्टर के समक्ष भेंट करने वाले थे । इसके पूर्व जनपद सीईओ एम एस नागेश स्वस्थ होकर अपोलो हॉस्पिटल बिलासपुर से डिस्चार्ज हो चुके हैं। जिन्हें करतला सीईओ के पद पर पदस्थ करने की आवश्यकता है। बावजूद इसके जिला प्रशासन ने उनकी शिकायतों को गंभीरता से नहीं लिया। यही नहीं 19 मई को उन्होंने कलेक्टर को पुनः पत्र लिखकर प्रभारी सीईओ खोटेल और लिपिक सुखदेव प्रसाद आदित्य के भ्रष्ट कार्यशैली की शिकायत कर दोनों को निलंबित करने की मांग की थी। कमीशनखोर अधिकारियों ने उनके भांचा बहु सलिहाभांठा सरपंच श्रीमती प्रभा कंवर को भी नहीं बख्शा था। उनसे भी विधायक मद से स्वीकृत मुक्तिधाम के समतलीकरण एवं सीमेंट कांक्रीट निर्माण के एवज में रिश्वत ले ली । इस शिकायत को भी जिला प्रशासन ने हल्के में ले लिया। और संबंधित सीईओ व लिपिक को भ्रष्ट कार्यशैली के साथ निर्विघ्न कार्य करने मौन स्वीकृति दे दी । 25 मई को सरपंच संघ करतला के बैनर तले सरपंचों ने ‘खोटेल हटाओ करतला बचाओ ‘के नारे के साथ कलेक्टर को हस्ताक्षरमय ज्ञापन सौंप प्रभारी सीईओ श्री खोटेल को 26 मई तक हटाए जाने की मांग की थी ।कार्रवाई नहीं होने पर 27 मई से पंचायत विकास योजनाओं के समस्त निर्माण एवं विकास कार्य बंद कर हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी थी। लेकिन
जनभावनाओं की परवाह न कर प्रभारी सीईओ खोटेल पर मेहरबान जिला प्रशासन ने इस बार भी अपनी मनमानी जारी रखी।क्षेत्रीय विधायक की शिकायत एवं निर्वाचित सरपंचों की मांग की अनदेखी कर भष्ट्र कार्यशैली के प्रभारी सीईओ पर कृपा बनाए रखी। कार्रवाई नहीं से आक्रोशित सरपंच शुक्रवार से जनपद पंचायत कार्यालय के सामने बेमियादी धरने पर बैठ गए। सरपंच संघ करतला के बैनर तले आंदोलनरत सरपंचों ने पुनः कलेक्टर को ज्ञापन सौंपकर प्रभारी सीईओ को हटाकर मूल सीईओ को शीघ्र प्रभार नहीं दिए जाने पर 30 मई से जनपद पंचायत कार्यालय करतला में तालाबंदी की चेतावनी दी है।वहीं सूत्रों के मुताबिक प्रभारी सीईओ ने कुछ सरपंचों को अपने प्रभाव में ले लिया है। बहरहाल अब देखना यह होगा कि इस बार जिला प्रशासन सरपंचों की मांगों को पूरा करती है या फिर उनकी अर्जी को हमेशा की तरह नजरअंदाज कर खोटेल पर कृपा बरसाते हुए मनमर्जी जारी रखेगी।
जिस तरह पिछले एक पखवाड़े से जनपद पंचायत करतला के सीईओ एम एस नागेश के चिकित्सा अवकाश में आने के उपरांत प्रभार दिए जाने की अर्जी देने के बाद भी प्रशासन अपनी मनमर्जी पर आमादा है ,पूरे जिले सहित प्रदेश में अधिकारियों की कार्यशैली सुर्खियों में बनी हुई है। आखिर ऐसा क्या माजरा है कि मूल सीईओ को प्रभार के लिए अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ रहे और विवादित एवं भष्ट्र कार्यशैली के मंडल संयोजक को प्रभारी सीईओ बनाकर बैठाया गया है। लोगों को यह बात भी अब सीधे तौर पर समझ आने लगी है। शासन की योजनाओं के अलावा कोरबा को सालाना सवा दो सौ करोड़ से अधिक की राशि रायल्टी के रूप में जिला खनिज संस्थान न्यास में प्राप्त होती है। इस राशि से कभी थ्री डी पेंटिंग तो कभी बिना आवश्यकता के खेल सामग्री तो स्ट्रीट लाईट लगाकर बंदरबाट करने की शिकायत तो आम हो चुकी है। सूत्रों की मानें तो योजनाओं के अलावा डीएमएफ के स्वीकृत कार्यों में मननाने तरीके से कार्य कराने कमीशनखोरी के लिए एच एन खोटेल को नहीं हटाया जा रहा । सरपंचों को तालाबंदी की चेतावनी देनी पड़ रही। सूत्रों की मानें तो इन सबसे आहत सीईओ एम एस नागेश प्रभार के लिए हाईकोर्ट की शरण ले सकते हैं। जो जिला प्रशासन कोरबा के लिए अत्यंत शर्मनाक बात होगी। इससे पूर्व तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल के कार्यकाल में भी भष्ट्र कार्यशैली के डिप्टी कलेक्टर आशीष देवांगन को हटाने क्षेत्रीय विधायक ननकीराम कंवर सहित सरपंचों को कुछ इसी तरह से विरोध जताना पड़ा था।