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कूटरचना: प्रभारी डीएफओ रहते हुए संजय त्रिपाठी ने तृतीय वर्ग लिपिक के खिलाफ कूट रचना कर मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर को प्रस्तुत किया जाँच प्रतिवेदन..

कूटरचना: प्रभारी डीएफओ रहते हुए संजय त्रिपाठी ने तृतीय वर्ग लिपिक के खिलाफ कूट रचना कर मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर को प्रस्तुत किया जाँच प्रतिवेदन..

 

 

Marwahi: वनमण्डल मरवाही के पूर्व प्रभारी डीएफओ संजय त्रिपाठी अपने कारनामो के वजह से हमेशा चर्चा में बने रहते है इसी कड़ी में एक बेहद ही संवेदनशील मामला प्रकाश में आया है संजय त्रिपाठी के द्वारा किए जाने वाले भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाले लिपिक परमेश्वर गुर्जर के खिलाफ पूर्व प्रभारी डीएफओ रहते हुए संजय त्रिपाठी के द्वारा एक बर्खास्तगी का प्रस्ताव मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर को प्रस्तुत किया गया जिसमे संजय त्रिपाठी ने अपने बंगले में ही कूट रचना रचते हुए खुद प्रभारी डीएफओ मरवाही रहते हुए स्वयं जांच अधिकारी भी बन गए और अपने ऑफिस में घण्टी सुनने वाले चिंता राम बैगा जो की वनपाल है,

बेचूराम गोड़ दैनिक वेतनभोगी श्रमिक सुरेश राठौर सभी के बयान एक सादे कागज में वायरलेस आपरेटर जो की नियम विरुद्ध तरीके से स्टेनो का कार्य देख रहा है उसके द्वारा लिखा गया और डीएफओ प्रभार से हटने के 10 दिन बाद संजय त्रिपाठी के द्वारा अपने बंगले में ही मनगढ़ंत प्रतिवेदन तैयार कर मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर को बैक डेट में प्रस्तुत किया गया जिसके खिलाफ परमेश्वर गुर्जर ने बताया कि उक्त रिपार्ट के खिलाफ सीसीएफ बिलासपुर को पुनः सही जाँच कराए जाने हेतु आवेदन उनके द्वारा दिया गया जिसमें मुख्य वन संरक्षक ने कोई भी कार्यवाही न करते हुए डीएफओ मरवाही को परमेश्वर गुर्जर पर ही कार्यवाही के लिए पत्र लिख दिया

अब सवाल ये उठता है कि फर्जी डिस्पेच नंबर का उपयोग करना स्वयं प्रभारी डीएफओ होते हुए भी जाँच अधिकारी बन जाना और अपने अधीनस्थ कार्यरत छोटे कर्मचारियों को दबाव पूर्वक गवाह बनाना साथ ही तैयार किए गए प्रतिवेदन में बड़े बाबू का हस्ताक्षर न होना ये दर्शाता है कि संजय त्रिपाठी द्वारा परमेश्वर गुर्जर से आपसी द्वेष को भावना से ग्रसित होकर इस तरीके से अवैधानिक कार्यवाही किया गया उनके इस कृत्य में मुख्य वन संरक्षक की भूमिका भी संदेह के दायरे में दिखाई देती नजर आ रही है वन विभाग को इस मामले को गंभीरता से लेते हुए तत्काल ऐसे दोषी अधिकारियों पर कड़ी कार्यवाही करते हुए विभाग की छवि को धूमिल होने से बचाने का प्रयास करना चाहिए साथ ही ऐसे मामलों से सरकार की खराब हो रही छवि को भी बचाने हेतु तत्काल संजय त्रिपाठी पर कार्यवाही की आवश्यकता है..