कटघोरा वनमण्डल में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर… फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति मामले में कार्यवाही करने से बच रहे अधिकारी….
कटघोरा वनमण्डल में भ्रष्टाचार चरम सीमा पर… फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति मामले में कार्यवाही करने से बच रहे अधिकारी….
छत्तीसगढ़: वन विभाग के बिलासपुर वन वृत्त में फर्जी कारनामों की कहानी थमने का नाम नही ले रही है…बिलासपुर वन वृत अंतर्गत हो रहे भ्रष्टाचार की खबर लगातार प्रकाशित हो रही हैं किन्तु वन मंत्री मोहम्मद अकबर के कानो में जूं तक नहीं रेंग रहा है..
कटघोरा वन मंडल में फर्जी तरीके से अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ लेकर नौकरी करते हुए घर भर रही है, दो- दो महिलाएं वन विभाग में कर्मचारी रहे पिता की जगह में विवाह कर ससुराल जा चुकी एक महिला ने अपने आप को उत्तराधिकारी साबित कर अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ ले लिया है, जबकी पूर्व से ही इनके भाई लोग सरकारी नौकरी पर हैं।
श्रीमती रजनी राठौर सहायक ग्रेड 03 व
अनुपमा धुर्वे सहायक ग्रेड 03
के बारे में माननीय मुख्यमंत्री व वन मंत्री जी से शिकायतः किया गया था की फर्जी अनुकम्पा नियुक्ति के मामले की जांच करते हुये छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के तहत फर्जी नियुक्ति दिलाने वाले अधिकारी कर्मचारी को निलंबित करने तथा श्रीमती रजनी राठौर व अनुपमा ध्रूवे को बर्खास्त करने की मांग युक्त शिकायत की गयी है, जिसके संबंध में 10 दिवस के भीतर में जांच किये जाने का निर्देश मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर वन वृत्त को दिया गया है, मुख्य वन संरक्षक बिलासपुर श्री चंदेले जी ने कटघोरा वन मंडलाधिकारी प्रेमलता यादव को जांच करने के लिये शिकायत की प्रति भेज दी है, इसे भेजे हुआ महिना भर बीतने जा रहा है पर इनका दस दिवस नहीं हुआ है।
हकीकत यह है की उक्त शिकायत की जांच आज तक शुरू ही नहीं की गयी है, गुप्त सूत्रों से पता चला कि वन वृत्त कार्यालय की स्थापना शाखा में
पदस्थ लिपिक श्री हेमंत बघेल से लेन देन करके दोषियों को बचाने का काम करते आ रहे हैं, क्योंकि यह बात श्रीमती रजनी राठौर सहायक ग्रेड 03 खुद ही जगह जगह प्रचार प्रसार कर खुशी मनाती सुनी जा रही हैं,अब देखना दिलचस्प होगा की कटघोरा श्रीमती प्रेमलता यादव सत्य का साथ देती हैं या गलत का? यह खुलकर सामने आ ही जायेगा। ऐसे तो पूर्व वन मंडलाधिकारी कटघोरा श्रीमती शमा फारुको फिर से कटघोरा आने कि तैयारी में हैं, वो वर्तमान वन मंडलाधिकारी की किसी भी प्रकार की चूक / गलती का इंतजार ही कर रही हैं, देखते हैं इस बीच वर्तमान वन मंडलाधिकारी सूक्ष्म रूप से जांच करायेंगी, या दोनों दोषी कर्मचारियों को बचाने में अपनी उर्जा लगायेंगी ! यहां भी देखना जरूरी हो गया प्रभारी कब तक इन दोषियों को बचाते रहेगा! मीडिया की टीम द्वारा श्रीमती रजनी राठौर, श्रीमती अनुपमा ध्रूवे के गांवों में जाकर क्या सहीं क्या गलत है की पड़ताल कर पंचनामा भी तैयार कर लिया है, शासन / प्रशासन की आंखों में जिस तरीके से धूल झोंकने का काम किया गया है वह दंडनीय अपराध है ! इस प्रकार से प्रकरणों में दोषियों को सजा ना देकर उन्हें संरक्षण दिया जा रहा है ऐसे संरक्षण देने वाले अधिकारी / कर्मचारी भी दोषी हैं ! जो कि सारे निति नियमों को ताक में रखकर इस प्रकार से अपात्रों को लाभ पहुंचाया जा रहा है
छत्तीसगढ़ शासन सामान्य प्रशासन विभाग के आदेश वर्ष 2013 में आदेश क्रमांक एफ 7-1/2019 / 1-3 अटल नगर रायपुर दिनांक 23/02/2019 में बेटी अगर कुंवारी होती, विधवा होती, विधुर या मायके पर आश्रित रहती तो एक बार समझ में भी आता, किन्तु शादी होकर जा चुकी बेटी जिसके लगभग 08 वर्ष व 10 वर्ष के बच्चे भी हैं उसके बाद भी अनुकम्पा नियुक्ति का लाभ ले लिया गया है, जबकि दोनों के पति सक्षम हैं और अच्छे सम्पन्न घर से है
पिता के मरने के पूर्व से दोनों के भाई नौकरी पर है। अगर ससुराल चली गई बेटी का अनुकम्पा नियुक्ती में अधिकार बनता है तो शादी होकर चली गई बेटी जो
पहले से ही शासकीय नौकरी में है उसे भी मान्य करने का अधिकार बनता है, फिर उस दशा में भी रजनी और अनुपमा अनुकम्पा की हकदार नही होंगी क्योंकि रजनी राठोर की बड़ी बहनें शासकीय नौकरी में हैं और भाई भी शासकीय नौकरी में हैं और अनुपमा ध्रुवे का सगा भाई तो पिता के निधन के पूर्व से ही डिप्टी रेंजर है तो अनुकम्पा का सवाल ही पैदा नही होता है !
किन्तु लेन देन करके सवाल ही नहीं अपने अनुकूल जवाब भी प्राप्त कर लिया जाता रहा है, जिन्हें हम कटघरे में खड़ा कर रहे हैं, उक्त मामले की सूक्ष्म जांच के लिये, मुख्य वन संरक्षक राजेश चंदेले, वन मंडलाधिकारी प्रेमलता यादव ,एक अन्य जांचकर्ता अधिकारी टिकरिहा , ने मामले में निष्पच जांच जल्द ही पारदर्शिता के साथ किया जायेगा बोला गया है.. अब देखते हैं वन मंडलाधिकारी की क्या प्रतिक्रिया आती है !