Katghora: कहीं खुशी,कहीं गम:मंगलवार बंद ने बिगाड़ी व्यापारियों की दशा,कुछ संतुष्ट कुछ असंतुष्ट….
कहीं खुशी,कहीं गम:मंगलवार बंद ने बिगाड़ी व्यापारियों की दशा,कुछ संतुष्ट कुछ असंतुष्ट….
कटघोरा :पुरानी कहावत है,पांचों उंगलियां बराबर नही होती,ठीक उसी तरह कटघोरा के व्यापारियों की दशा है,जहाँ सभी की एकराय हो पाना संभव नहीं है, लिहाजा मंगलवार के दिन कटघोरा का बंद होना सभी व्यापारियों को रास नही आ रहा है।कुछ व्यापारी अपने संस्थानों को पूरी तरह बंद रख रहे हैं वहीं कुछ व्यापारी बंद से संतुष्ट न होकर अपने संस्थान आधे अधूरे खोल रहे हैं।लिहाजा मंगलवार को कटघोरा बंद पूरी तरह सफल नही हो पा रहा है।
कटघोरा के व्यापारियों की पूर्व से ही मंशा रही है कि कटघोरा का मार्केट भी कोरबा की भांति सप्ताह में एक दिन बंद रहे,इसके लिए कई मर्तबा व्यापारियों द्वारा बैठक होती रही है,व्यापारियों की माने तो सप्ताह में एक दिन मार्केट बंद रहने से व्यापारियों को भागदौड़ भरे जीवन से राहत मिल सकेगी,वे एक दिन अपने परिवार के साथ समय गुजार पाएंगे साथ ही स्वयं के लिए भी समय निकाल पाएंगे।इसी कड़ी में कटघोरा के व्यापारियों की बैठक आयोजित हुई जिसमें सर्वसम्मति से मंगलवार के दिन दुकानों को बंद रखने के निर्णय पर विचार किया गया।
नवापारा छुरी में आयोजित सरकार तुंहर द्वार कार्यक्रम में व्यापारियों का आवेदन सम्बंधित अधिकारियों को प्राप्त हुआ जिस पर जिला कलेक्टर महोदया ने तत्काल संज्ञान लेते हुए आदेश क्र. 4446 दिनाँक 08/04/2022 के अनुसार कटघोरा नगर पालिका छेत्र के समस्त स्थाई व अस्थाई दुकानों को पूर्व की भांति बंद रखने का निर्णय लिया गया।वहीँ आदेश में अतिआवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं, फल सब्जियां व दूध सप्लाई की दुकानों को प्रतिबंध से बाहर रखा गया है।आदेशानुसार बंद दिवस के भीतर दुकान खुली पाए जाने पर नियमानुसार कार्यवाही भी सुनिश्चित की गई है।
कटघोरा के कुछ व्यापारियों को शायद इस आदेश से कोई सरोकार नही जो अपनी दुकानें खोल कर नियमो को ठेंगा दिखा रहे हैं।वही फुटकर व्यापारियों के साथ छोटे व्यवसाइयों की माने तो इनकी आय उतनी नही होती जिससे उनका गुजारा चल सके,पर ये शासन के सभी आदेशो का पालन करने से पीछे नही हटते,वही अगर किसी कारण छोटे व्यापारी की दुकान बंद के दिन खुली दिख गई तो नगर पालिका के कर्मचारी इन्हें इस कदर जलील करते हैं मानो इन्होंने कोई संज्ञेय अपराध कर दिया हो,वहीँ नगर पालिका के कर्मचारियों के हाथ उन बड़े व्यापारियों के गिरेबान तक नही जाते जो नियमो को ताक पर रख कटघोरा की शांति व्यवस्था को भंग करने में कोई कसर नही छोड़ते,जबकि आदेश में साफ साफ उल्लेखनीय है कि कौन कौन सी दुकानें खुलनी है,बावजूद बड़े प्रतिष्ठान धड़ल्ले से पूरे व आधे अधूरे खुल रहे हैं।
जिस वजह से व्यापारियों में द्वेष की भावना पनप रही है।अगर देखा जाए तो इसका सीधा कारण नगर पालिका की उदासीनता है जो आदेश बावजूद बंद वाले दिन नियमानुसार कार्यवाही न कर छोटे व्यापारियों पर हुकूमत जमा अपनी पीठ थपथपा रही है।लिहाजा मंगलवार बंद से कटघोरा के सभी व्यापारी सन्तुष्ट नही है।कुछ व्यापारियों की माने तो यह निर्णय केवल बड़े व्यापारियों की मंशा अनुरूप लिया गया है जिसमे उनकी भागीदारी सुनिश्चित नही की गई,जहां कुछ व्यापारी इस निर्णय से संतुष्ट हैं तो कुछ असंतुष्ट है।
व्यापारियों के हालात वर्तमान में उतने अच्छे नही है क्योंकि कोरोना काल ने व्यापारियों के व्यवसाय की कमर तोड़ कर रख दी थी,दो साल के लंबे अंतराल तक दुकानों के बंद हो जाने से व्यापारियों के हालात बत से बत्तर हो चुके थे,कुछ व्यापारियों के धंधे बंद की कगार पर आ गए थे तो कुछ व्यापारी सड़क पर आ गए थे।अब ऐसी भीषण त्रासदी झेलने के बाद उन व्यापारियों के हालात किस कदर होंगे इन्हें सहज ही समझा जा सकता है।
ले देकर व्यापारियों के हालात सुधरने शुरू हुए तो मंगलवार को बंद रखने का भेदभाव पूर्ण निर्णय व्यापारियों के जख्मो पर नमक छिड़कने के समान प्रतीत हो रहा है।आखिर मंगलवार को दुकानें बंद क्यो कराई जा रही? क्या है कारण? अगर बंद कराई जा रही तो आदेश अनुसार पालन क्यो नही हो रहा है? तमाम तरह के सवाल है जो कटघोरा के व्यापारियों सहित कटघोरवासियो के लिए सबब बना हुआ है।