कटघोरा: DFO ने कहा.. “ग्रामीणों में सतर्कता की कमी की वजह से हो रहा जनधन का नुकसान.. बंगाल से पहुंची हुल्लड़ पार्टी खदेड़ रही हाथियों को”.
कोरबा/कटघोरा: बीते पखवाड़े में जंगली हाथियों ने कटघोरा वनक्षेत्र के भीतर जमकर उत्पात मचाया है. एक तरफ जहां दो हफ़्तों के भीतर गजदल ने तीन ग्रामीणों को मौत के घाट उतार दिया है तो वही मदहोश हाथियों के दल ने बड़े पैमाने पर निजी संपत्ति और फसलों को भी नुकसान पहुंचाया है. कल भी परला क्षेत्र के आसपास आधे दर्जन मकानों को हाथियों ने जमींदोज़ कर दिया. हाथियों के इस खूनी उत्पात से डिवीजन के गांवों में सन्नाटा पसरा हुआ है. खेती-किसानी के इस दौर में भी लोग अपने घरों में दुबकने पर मजबूर है.
दूसरी ओर कटघोरा वनमंडलाधिकारी शमां फ़ारूक़ी की अगुवाई में संबंधित रेंज के परिक्षेत्राधिकारी रहवासी इलाको में हाथियों के दल के रोकथाम के प्रयास में युद्धस्तर पर जुटे हुए हैं. प्रभावित क्षेत्र के ग्रामीणों को हाथियों से सुरक्षा के लिए सभी तरह के उपाय सुझाये जा रहे है. वनमाण्डाधिकारी फ़ारूक़ी का सख्त निर्देश है कि ग्रामीण देर रात अपने खलिहानों में ना सोये, हाथियों के पहुंचने पर कच्चा मकान छोड़कर पक्के मकान का रुख करें. हालांकि इससे हाथियों की आमद कम तो नही होगी लेकिन जनधन के नुकसान से बचा जा सकता है.
आज डिवीजन दफ्तर में हुई पत्रकारों से चर्चा के दौरान डीएफओ ने बताया कि फिलहाल हाथियों के यह दल दो हिस्सों में बंट चुका है. करीब 43 हाथियों का एक झुंड पड़ोस के जटगा रेंज में डेरा जमाए हुए है तो वही दूसरा दल पसान-केंदई परिक्षेत्र में विचरण कर रहे है. इन रेंज के गाँवो में मुनियादी कराई जा रही है. सुरक्षा उपकरणों का भी वितरण कर दिया गया है. वन विभाग की स्पेशल टीम हाथियों के मूवमेंट्स पर बारीक नजर रखे हुए है. किसी भी तरह के आपात स्थिति से निबटने के लिए संसाधन जुटाए जा रहे.
डीएफओ शमां फ़ारूक़ी ने जानकारी साझा किया कि पिछले दिनों हाथियों से हुई मौतों को वन महकमें ने गंभीरता से लिया है जिसके बाद शासन की तरफ से सुरक्षा निर्देश भी जारी किए गए है. इन्ही निर्देशो के मुताबिक हाथियों को रहवासी इलाको से खदेड़ने के लिए पश्चिम बंगाल से हुल्लड़ पार्टी को बुलाया गया है. प्रशिक्षित यह हुल्लड़ टीम प्रभावित गांवों में मुस्तैद है. वे गजदल की दिशा बदलने के प्रयास में जुटे हुए है. हुल्लड़ टीम बेहतर तरीके से काम कर रही है.
बकौल डीएफओ फ़ारूक़ी ग्रामीणों में सजगता और जागरूकता की कमी की वजह से यह मानव-हाथी द्वंद सामने आ रहा है. लगातार समझाइस के बाद भी कुछ ग्रामीण अंधेरे जंगलो की तरफ जा रहे है. खलिहानों में नही सोने की हिदायत पर भी कुछ ग्रामीण अमल नही कर रहे है. सम्भवतः मानवीय चूक और लापरवाही ही मौतों की असल वजह है. सभी को सतर्क रहने की जरूरत है.