लोक विज्ञान पर्यावरण सुधार और संतुलित विकास उद्देश्यों को लेकर काम करने वाली संस्था छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा एवं आर सी आर एस द्वारा विश्व गौरैया दिवस अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस भू जल संरक्षण दिवस स्याहीमुड़ी में मनाया गया…
लोक विज्ञान पर्यावरण सुधार और संतुलित विकास उद्देश्यों को लेकर काम करने वाली संस्था छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा एवं आर सी आर एस द्वारा विश्व गौरैया दिवस अंतर्राष्ट्रीय वन दिवस भू जल संरक्षण दिवस स्याहीमुड़ी में मनाया गया
हमारे जीवन में पक्षियों, जल एवं वनों का महत्वपूर्ण योगदान है ।वनों के बिना मानव जीवन ही नहीं बल्कि पशु-पक्षियों के जीवन की भी कल्पना नहीं की जा सकती है इसलिए वनों का संरक्षण बेहद जरूरी है। तो वनों के महत्व को बताने और इसके संरक्षण के प्रति लोगों को जागरूक करने के मकसद से 21 मार्च का दिन दुनियाभर में ‘अंतरराष्ट्रीय वन दिवस’ के रूप में मनाया जाता है।वनों में पाए जाने वाले पेड़-पौधे ही पृथ्वी पर ऑक्सीजन की मुख्य स्त्रोत है। 2022 के विश्व वन दिवस की थीम है ‘वन और सतत उत्पादन और खपत। वनों के सतत प्रबंधन के साथ-साथ उनके संसाधनों का विवेकपूर्ण उपयोग जलवायु परिवर्तन से निपटने और वर्तमान और भावी पीढ़ियों की समृद्धि और भलाई में योगदान करने का प्राथमिक तरीका है. छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा एवं आर सीआरएस की टीम मिलकर इस सम्बन्ध में जन जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है । छग विज्ञान सभा की राज्य संयुक्त सचिव निधि सिंह ने बताया कि छत्तीसगढ़ विज्ञानसभा पिछले 3 वर्षो से चिरई मितान रुख मितान और सर्प मितान कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है जिसके अन्तर्गत 20 से ज्यादा गांवों मे छात्र छात्राओं को चिड़ियों औषधीय पौधों और विषैले विषहीन सांपों के विषय में जानकारी प्रदान की गई साथ ही विभिन्न गांवों के स्कूली शिक्षकों एवं जनसामान्य को भी कार्यक्रम में जोड़ा गया । गौरैया दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा की हमारी सुबह चिड़ियों की चहचहाट के बिना अधूरी है गर्मी में अपनी छतों की मुंडेरों पर उनके लिए दाना पानी अवश्य रखें अपने घर के बच्चों को चिड़ियों के महत्व के विषय में जरूर बताएं और हो सके तो अपने बच्चों को जंगल जरूर ले जाएं प्रकृति के दर्शन कराये तभी आने वाली पीढ़ी हमारे जीवन मे प्रकृति जल एवं जंतुओं के संरक्षण के महत्व को समझ पायेगी।
शासकीय हाईस्कूल स्याहीमुड़ी की प्राचार्य ने बताया की विश्व जल दिवस को हर साल एक थीम के साथ मनाया जाता है. इस साल की थीम- *भूजल: अदृश्य को दृश्यमान बनाना है। जल बिना जीवन संभव ही नहीं है* उन्होंने बताया कि पिछले वर्ष भी हमारे छात्र छात्राओं ने चिड़ियों के घोसले बनाकर अपने घरों में रखे थे जिनमें से कुछ में गौरैया ने अपना घर बनाया कुछ पेड़ों पर मुनिया ने प्राकृतिक रूप से अपना घर बनाया। हर्ष का विषय है कि बच्चे चिड़ियों के महत्व को समझ रहे हैं और बेहतर कल को बनाने में अपना योगदान दे रहे है।
छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा की सदस्य सर्वज्ञा सिंह ने कहा कि यह एक ऐसी प्रजाति है जिसे सभी जगह पर अलग अलग नाम से जाना जाता है जिनमें चिड़िया, चिमनी, चिड़ी आदि प्रमुख है।अपने घरों की मुंडेरों पर अगर हम इस चिड़िया को देखना है तो इसके लिए दाना और पुराने बर्तनों खास तौर से मिट्टी के बर्तनों में पानी जरूर रखें।आर सी आर एस के अध्यक्ष अविनाश यादव कई बार किंग कोबरा के साथ ही उदबिलाव पाम सीविट बन्दर जैकाल जैसे जीवों का रेस्क्यू वन विभाग की उपस्थिति में कर चुके हैं । छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा कोरबा इकाई के सहसचिव अविनाश यादव की टीम जिले में जीव जंतुओं के संरक्षण के प्रति संवेदनशील होकर कार्य कर रही है अविनाश यादव द्वारा बताया गया की यह कार्य अत्यंत जटिल काम है वन अधिनियम के नियमों का पालन करते हुए और वन विभाग के अधिकारियों की देखरेख में उनकी टीम द्वारा जीवों का संरक्षण किया जाता है ।जीवों की प्राण रक्षा के लिए उनकी टीम सजग है।
छत्तीसगढ़ विज्ञान सभा के सहसचिव वेद वृत उपाध्याय ने बताया कि
जल की हर बूंद कीमती है ।आज भी गांवों में तालाबों की सफाई का प्रचलन है और इसे एक प्रकार की महत्वपूर्ण क्रिया के रूप में किया जाता है ।हम जानते हैं कि इस प्रक्रिया द्वारा भूमि की जल धारण क्षमता बढ़ती है परन्तु बड़े बड़े शहरों में तालाबों के चारों ओर कंक्रीट से मुंडेरे बना दी जाती है प्राकृतिक रूप से पहुंचने वाला जल अब उन तक नहीं पहुंच रहा है बल्कि सिविर सिस्टम से गंदगी उन तालाबों तक पहुंच रही है।इस और हमें ध्यान देना चाहिए और वैज्ञानिक दृष्टिकोण अपनाते हुए शहरों में जियो से बने तालाबों के प्राकृतिक रूप से जल धारण एवं संरक्षण के प्रति सजग होने की आवश्यकता है आर सी आर एस के सदस्य रघु ने कहा कि
हमारे द्वारा जीवों के संरक्षण के लिए खासतौर से उनके रेस्क्यू के लिए निशुल्क सेवाएं दी जाती है ।हम बिना किसी धन लाभ के यह कार्य कर रहे है।हमें जनसामान्य का सहयोग चाहिए जिससे जंतु संरक्षण के प्रति हमारा यह कार्य निर्विघ्न रूप से चलता रहे ।
इस अवसर पर विद्यालय के छात्र छात्राओं को खाली मटके देकर उन्हें अपने आंगन,बाड़ी बगीचे ऊंचे पेड़ों पर रखने प्रोत्साहित किया गया जिससे गौरैया को रहने के लिए सुरक्षित घोंसले मिल सके गौरैया का संरक्षण हो सके। मुस्कान दीपिका सारथी काजल माधुरी अंशु लता उमेश पंकज मनीष करण अभिनव अंजलि सभी ने गौरैया, जल एवं वनों के संरक्षण की शपथ ली।