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कोरबा/पाली- SECL सरायपाली परियोजना ग्रामीणों की जायज मांग पुरी करे प्रबंधन नही तो खदान से एक ढेला कोयला नही निकलने देगे सांसद प्रतिनिधि प्रशांत मिश्रा की चेतावनी SECL के प्रभावितों ने प्रशांत मिश्रा को दिया था आवेदन….

कोरबा/पाली:- एसईसीएल सराईपाली परियोजना के अंतर्गत ग्राम बुड़बुड़ के ओपन खदान में कोयला उत्खनन कार्य के आरम्भ काल मे अधिकारियों के दोहरी मानसिकता और मनमानी को लेकर कोरबा सांसद प्रतिनिधि एवं प्रदेश कांग्रेस कमेटी के संयुक्त महासचिव प्रशांत मिश्रा काफी भड़के है और उन्होंने चेतावनी दी है कि भू प्रभावितो की माँग और उनकी समस्या के निराकरण के बगैर कोयला तो दूर मिट्टी का एक ढेला भी नही निकालने देंगे। उत्खनन कार्य के उद्घाटन अवसर पर आम लोगों एवं स्थानीय व जिले के जनप्रतिनिधियों, नेताओं को दूर रखना एसईसीएल की दोहरी मानसिकता का परिचायक है।उन्होंने कहा कि सीएमडी के आने पर ग्रामीणों को नहीं मिलने देना यही दर्शाता है कि एसईसीएल ग्रामीणों की मांग और समस्या को लेकर कितना गंभीर है।रोजगार पुनर्वास और मुआवजा के मामले का त्वरित निपटारा कर अधिग्रहित जमीन के बदले नौकरी से वंचित लोगों को स्वरोजगार के मौके उपलब्ध कराना चाहिए लेकिन अधिकारी अंधेर नगरी- चौपट राजा की तर्ज पर अपनी मनमानी पर उतारू होकर कार्य कर रहे है।उक्त सभी मांगे पूरी होने के बाद ही खदान से कोयला निकालने का मार्ग प्रशस्त हो पाएगा अन्यथा इस खदान से किसी भी सूरत में उत्खनन कार्य तो दूर की बात है मिट्टी का एक ढेला भी खनन करने नहीं दिया जाएगा।एक तरफ एसईसीएल के अधिकारी उद्घाटन जैसी बात से नकारते हैं वही वाहवाही लूटने के लिए कार्यक्रम का आयोजन भी करते हैं।पिछले 20 सालों से इस खदान को खोले जाने का प्रयास किया जा रहा है लेकिन एसईसीएल हमेशा से ग्रामीणों की बात को अनसुना करने के साथ लगातार गुमराह करते आ रहा है जिसके कारण मुआवजा, पुनर्वास, रोजगार जैसे विभिन्न मुद्दे आज पर्यन्त तक लंबित है जबकि इसी के साथ आरंभ हुआ चोटिया खदान का आज विस्तार हो चुका है और और कई चरणों का उत्पादन कर लाखो टन कोयले का उत्पादन किया जा चुका है।एसईसीएल हमेशा से प्रभावित ग्रामीणों को अनदेखा करते आ रहा है ऐसे में उनसे ईमानदारी की उम्मीद करना भी बेमानी है।ग्रामीणों ने खदान में जाकर विरोध जताया वह जायज है और वे खुद ग्रामीणों के हर उस आंदोलन का समर्थन करते हैं जो जनहित से जुड़ा है।एसईसीएल के खिलाफ अब निर्णायक समय आ चुका है।अब संबंधित अधिकारियों को दिखाना है कि उनके द्वारा बरती जा रही मनमानी एवं दोहरी मानसिकता की परिणीति क्या होगी।