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कोरबा : रेत माफिया को मिल रहा सियासी संरक्षण,, पुलिस-प्रशासन के लिए खनन रोकना बड़ी चुनौती : ग्रामीणों ने कहा नेताओ का भ्रष्टाचार चरम सीमा पर – जल्द राज्यपाल को सौंपा जायेगा ज्ञापन

रेत माफिया को मिल रहा सियासी संरक्षण, पुलिस-प्रशासन के लिए खनन रोकना बड़ी चुनौती : ग्रामीणों ने कहा नेताओ का भ्रष्टाचार चरम सीमा पर – जल्द राज्यपाल को सौंपा जायेगा ज्ञापन

पोड़ीकला बम्हनी नदी से रेत का खनन जारी है, प्रशासन कई बार रेत माफिया पर कार्रवाई कर चुका है, फिर भी रेत माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि, वो बेखौफ नदियों का सीना छलनी कर रहे हैं, प्रशासन के लिए रेत माफिया पर लगाम लगाना बड़ी चुनौती बन गया है.

पसान : पोड़ीकला से बम्हनी नदी से रेत का अवैध खनन जारी है, प्रशासन कई बार रेत माफिया पर कार्रवाई कर चुका है, फिर भी रेत माफिया के हौसले इतने बुलंद हैं कि, वो बेखौफ नदियों का सीना छलनी कर रहे हैं, प्रशासन के लिए रेत माफिया पर लगाम लगाना बड़ी चुनौती बन गया है. सूत्रों की माने तो नेताओं द्वारा खुद माफिया बन रेत का अवैध खनन किया जा रहा हैं, रोजाना पोड़ी कला से हजारों की संख्या में ट्रैक्टरों से अवैध रेत का परिवहन होता है.

नेताओ के आगे प्रशासन नतमस्तक : जमकर अवैध रेत खनन

दरअसल पोड़ी-उपरोड़ा के पोड़ीकला बम्हनी नदी मे रेत की जमकर तस्करी हो रही है आलम यह की खुलेआम नदियों का चीर हरण किया जा रहा है। रेत ठेकेदार (नेता) द्वारा अवैध रूप से रेत को पसान स्थित अपने अलग-अलग ठिकानों पर स्टॉक कर रहे है प्रतिदिन 30 से 40 ट्रैक्टर रेत उत्खनन कर नदी के गर्भ को खाली करने में लगे है। नेता के हौसले इतने बुलंद है कि प्रशासन और ना ही पुलिस प्रशासन कोई कार्यवाही करने को तैयार नहीं है

वही खनिज विभाग गरीब ट्रैक्टर वालों को पकड़कर चालान वसूलने का काम करते हैं लेकिन बड़े सफेदपोश नेताओं के हाथ डालने में कतराते हैं वही रेट कि इस प्रकार की लूटपाट आज तक कहीं नहीं देखी गई पोड़ीकला रेत घाट से रेत निकालना गैर कानूनी है रेत की चोरी है .किंतु भाजपा नेता की दबंगई का आलम यह है कि दिनदहाड़े ट्रैक्टर लगाकर रेत का उत्खनन कर रहा है खनिज विभाग एवम राजस्व विभाग के सुस्त चाल से एवं स्थानिया विभागो के संरक्षण से यह पूरा खेल पसान और पोडीकला क्षेत्र में खेला जा रहा है अब देखना यह है कि प्रशासन इसमें आगे क्या करता है !

नेता के सामने नतमस्तक प्रशासन

खनिज संपदा से भरपूर जिले में प्रशासन के समानांतर माफिया राज चल रहा है। जीवनदायिनी (बम्हनी) नदियों पर माफिया का बोलबाला है। माफिया का आपराधिक चरित्र इतना व्यापक और विकराल हो चुका है कि खनन के सिंडीकेट फर्श से अर्श पर पहुंच गए हैं और अफसर इनके रुतबे के आगे खामोश हैं। अवैध खनन माफिया सरकारी खजाने को करोड़ों रुपए का चूना लगा रहे हैं और यह काम अफसरों और सत्ताधारी राजनीतिक संरक्षण के बिना हो ही नहीं सकता। लगातार खनन से नदी का अस्तित्व ही खतरे में पड़ रहा है। इसके लिए जिला प्रशासन और जनप्रतिनिधियों को पारदर्शी नीति और कड़ा नियंत्रण रखना होगा अन्यथा माफिया एक दिन इस नदी को ही निगल जाएगा

एक ही काम, फिर भी नहीं होती कार्रवाई

खनिज विभाग का एकसूत्रीय कार्य है। विभाग को केवल खनिज संसाधनों पर नियंत्रण रखना है। विभागीय अधिकारी या स्टाफ के पास न कोई प्रोटोकाल ड्यूटी है, न कोई वीआईपी विजिट की जिम्मेदारी है। यहां तक कि जनसमस्या निवारण शिविर आदि में भी विभाग का कोई स्टाल नहीं लगता। एक सूत्रीय कार्य होने के बाद भी विभाग का अमला, स्टाफ की कमी का रोना रोकर जिम्मेदारी से बचने का प्रयास करता है।