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कोरबा : मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री सड़क योजना के अधिकारियों के देखरेख में बने सड़क को सड़क कहना सड़कों का अपमान : कमाई का जरिया बना प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना

कोरबा : छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की भूपेश सरकार बनने के बाद विकास का डंका पूरे देश में बज रहा है, कोरोनाकाल में भी सरकार ने निर्माण कार्यों को जारी रखते हुए लगातार लोगों को काम से जोड़े रखने के लिए केंद्रीय श्रम मंत्रालय ने मनरेगा कार्य के लिए छत्तीसगढ़ को अव्वल नंबर से नवाजा है। वहीं प्रधानमंत्री ग्राम सड़क और मुख्यमंत्री ग्राम सड़क योजना में विभागीय इंजीनियरों और ठेकेदारों ने राक्षसों से प्रेरणा लेकर डामर पीने के साथ गिट्टी बोल्डर, सीमेंट सरिया तक हजम कर लिए जिसके फलस्वरूप प्रदेश में बनी हजारों किलोमीटर लंबी पक्की सड़कें गांव को जोडऩे के लिए बनाई गई वह मात्र रस्म अदायगी बन कर रह गई। छत्तीसगढ़ में सड़कों की दुर्दशा किसी से छिपा नहीं है, जो खुलेआम भ्रष्टाचार की कहानी स्वयं बयां कर रहा है। कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में इस योजना के तहत बनाए गए और निर्माणाधिन सड़कों में व्यापक भ्रष्टाचार हुआ है। मीडिया में लगातार इस संबध में रिपोर्ट छपते रहे हैं बावजूद राज्य सरकार और संबधित विभाग आंखे बंद किए हुए हैं। कोरबा में सालो से जमे अधिकारी और ठेकेदार सरकारी धन का बंदर बांट करने में मशगुल हैं

मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री सड़क योजना के अधिकारियों के देखरेख में बने सड़क को सड़क कहना सड़कों का अपमान होगा। क्योंकि जिस तरह गुणवत्ताहीन व लीपीपोती कर बनाई गई सड़क 6 माह भी नहीं टिक पाई जो प्रदेश के ग्रामीणों के लिए सबसे पड़ी परेशानी की सबब बन गई है। पहले पगडंडी ती तो ग्रामीणों की बैल गाड़ी आसानी से गांव से शहर तक पहुंच जाती थी, लेकिन प्रधानमंत्री ग्राम सड़क बनने के बाद उस सड़क पर ग्रामीण तो क्या बैलों ने भी चलने से इंकार कर दिया है। उबड़-खाबड़ बिना मापदंड, नियम-कायदों को ताक पर रखकर गुणवत्ताहीन सड़कों का निर्माण किया गया है। सड़क निर्माण में न तो ग्रेडिंग किया गया है और न लेबल मिलाया गया है। जिससे नवनिर्मित सड़कें जगह-जगह से धंसने लगी हैं। सड़क निर्माण में अधिकारियों के साथ मिलकर ठेकेदारों ने भारी भ्रष्टाचार किया है , किंतु कार्यवाही का ना होना भ्रष्ट अधिकारियों के हौसले बुलंद करते रहा है !

कोरबा जिले के ग्रामीण क्षेत्र में जिस तरह की सड़कों का निर्माण हुआ कमोबेश पूरे राज्य में इस योजना के तहत सड़कों का यही हाल है। सरकार और विभाग ने जहां बजट जारी कर टेंडर की प्रक्रिया के बाद अपनी आंखें मूंद लीं वहीं मैदानी स्तर पर तैनात अधिकारियों ने ठेकेदारों के साथ मिलकर योजना की राशि की जमकर लूट की और यह बदस्तूर जारी है। कोरबा जिले के पोड़ी उपरोड़ा में जिस अधिकारी ने पिछले कई सालों से अपने पांव जमा रखे हैं उसने न सिर्फ अपने अधिकार क्षेत्र में अपितु राज्य के दूसरे क्षेत्रों में भी अपना दबदबा बना रखा है उसके संरक्षण में अधिकारी-टेकेदार भ्रष्टाचार का खुला खेल खेल रहे हैं। सरकार-मंत्री से बेखौफ उक्त अधिकारी का जादू उच्चाधिकारियों पर भी ऐसा चलता है कि विभाग में उसने अपना सिक्का जमा लिया है।

कई गंभीर शिकायतें मंत्रालय तक पहुंच कर गायब हो गई

पीएमजीएसवाई के अंतर्गत बनायी गई सड़कें बहुत कम समय में खराब होने व गुणवत्ताहीन निर्माण की शिकायते लगातार ग्रामीण राज्य सरकार के साथ केन्द्र सरकार से भी की लेकिन मंत्रालय पहुंचने के बाद गायब हो गई जिसकी आज तक सुराग ही नहीं मिला। पीएमजीएसवाई के तहत केन्द्र को सड़कों के निर्माण में घटिया सामग्री उपयोग किए जाने सहित कार्यों की खराब गुणवत्ता से संबंधित कई गंभीर शिकायतें मंत्रालय को मिली हैं। कई बार निविदा तथा ठेका प्रबंधन एवं गुणवत्ता नियंत्रण सहित कार्यक्रम के जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई करने के लिए राज्य सरकार को आदेशित भी किया गया तथा राज्यों से ये अपेक्षा की गई है कि वे ऐसे मामलों पर सख्त कार्रवाई करें। केन्द्र सरकार ने इस भ्रष्टाचार और घोटालों को रोकने के लिए एक देख-रेख समिति बनाई, लेकिन छत्तीसगढ़ में इस समिति को कोई निगरानी कार्य नहीं सौपा गया। इस योजना में कार्य कर रहे की अधिकारी सालों से एक ही स्थान पर जमे हुए हैं, जिनके कभी ट्रांसफर हुए भी वे कुछ ही महीने में पुन: उन्ही इलाकों में पदस्थ हो गए। बावजूद अधिकारी शिकायतों पर परदा डालकर ठेकेदारों को मनमाने ढंग से काम करने की छूट देकर भ्रष्टाचार का मौका दे रहे हैं। सड़कों की मानिटरिंग के लिए पहुंचने वाले पीएमजीएसवाई के नोडल अधिकारियों को भी ये अधिकारी सेट कर कमीशनखोरी में लगे हैं और घटिया निर्माण पर परदा डालकर ठेकेदारों के साथ सांठगांठ कर भ्रष्टाचार को अंजाम दे रहे हैं।

भ्रष्टाचार को बढ़ावा दे रहे जिले में बैठे अधिकारी

कोरबा जिले में प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना में व्यापक भ्रष्टाचार को वहां सालों से पदस्थ अधिकारी प्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा दे रहे हैं। ठेकेदारों के साथ सांठगांठ कर कमीशनखोरी के कारण ही इलाके में घटिया सड़कों का निर्माण किया जा रहा है। उक्त अधिकारी का मंत्री और सचिव स्तर पर पकड़ व पहुंच होने के कारण ठेकेदार बेधड़क बेखौफ घटिया निर्माणकर सरकारी पैसों का बंदरबाट कर रहे हैं। सरकार और विभाग स्तर पर ऐसे अधिकारियों को लगातार उपकृत किया जाना भी अचंभित करता है।