एक्ट्रेस आहना कुमरा ने कहा-अमिताभ और नसीर से सीखा कि समय पर आइए और शिद्दत से काम कीजिए
थिएटर में बैक स्टेज काम करने और टिकट बेचने से लेकर अमिताभ बच्चन और नसीरुद्दीन शाह के साथ काम कर चुकीं आहना कुमरा ने आज फिल्म इंडस्ट्री में अपना नाम बनाया है। वे फिल्म और वेब सीरीज में व्यस्त हैं। आहना ने हाल ही में दैनिक भास्कर से हुई बातचीत में सोशल मीडिया से लेकर अमिताभ और नसीर के साथ काम करके बहुत कुछ सीखने आदि के बारे में बताया। पढ़िए प्रमुख अंश-
सोशल मीडिया पर आप काफी सक्रिय रहती हैं, ट्रोलर्स को किस तरह से हैंडल करती है?
मुझे ट्रोलर्स से इतना फर्क नहीं पड़ता है, क्योंकि ध्यान नहीं देती हूं। मैं तो रोजाना मजेदार अपनी फोटोज डालती रहती हूं। फर्क तो तब पड़ता है, जब किसी की वजह से अपने आपको रोकते हैं। मुझे दूसरों के ओपिनियन से क्या लेना-देना। मुझे सबसे ज्यादा मेरा ओपिनियन इंपोर्टेंट है। मेरे ओपिनियन मेरे बारे में खराब नहीं है, तब सब ठीक है। मेरा मानना है कि बचपन में मां-बाप ने जो सिखाया है, उसके हिसाब से जिंदगी जिएं, यह नहीं कि सामने वाला क्या कह रहा है, उसके हिसाब से चलें।
थिएटर में बैकस्टेज काम करने और टिकट बेचने से लेकर अब तक के सफर को किस तरह से देखती हैं?
मैं अपने सफर को बहुत अच्छा देखती हूं। मेरे साथ बहुत लोग जुड़े हैं, जो लोग जुड़े हैं वे बहुत अच्छे हैं। मैंने बहुत कुछ सीखा है, बहुत लोगों से सीखा है। इंडस्ट्री की बहुत आभारी हूं कि उसने बहुत कुछ सिखाया है। इसकी वजह से आज जिस तरह की जिंदगी जी रही हूं, उसके लिए इंडस्ट्री को बहुत मानती हूं। मैं अपने शोज और करैक्टर से कुछ न कुछ जरूर सीखती हूं। मुझे बहुत अच्छा लगता है कि हमारी कहानियां प्रोगेसिव हो गई हैं, जिन पर चर्चा होती है।
कोई ऐसा कैरेक्टर, जिससे कुछ खास बात सीखी हो?
आई थिंक, लिपस्टिक अंडर माय बुरका से सबसे ज्यादा सीखी हूं। बतौर वुमन जब फिल्म इंडस्ट्री में आते हैं, तब आपसे क्या उम्मीदें और अपेक्षाएं होती हैं। खुद से भी क्या अपेक्षाएं रखनी होती है। इस का थोड़ा ध्यान रखना पड़ता है। जब मैं भी इंडस्ट्री में नई आई थी, तब पता नहीं लगता था कि कर क्या रही हूं। लेकिन जब फिल्म किया और उसके ऊपर इतने डिसक्शन हुए तो लगा कि हां, हम ऐसा क्यों नहीं सोचते हैं। अपना दृष्टिकोण बदलना पड़ता है और दृष्टिकोण तब बदलता है, जब ऐसे नाटक और फिल्में करते हैं, जिसके बारे में सोचने के लिए मजबूर होते हैं। वरना आज तक तो यही देखा है कि लड़की, लड़की के पीछे पड़ता है और लड़की को लगता है कि यह तो मेरे प्यार में दीवाना है। वह दीवाना नहीं, वह तुम्हारी पीछा कर रहा है, वह स्टाकर है। मैंने मर्जी नामक एक शो किया था, उसमें बहुत इंपोर्टेंट कन्वर्सेशन हुआ था। अगर आज चीजों को नहीं सीखूंगी, तब आने वाली पीढ़ियों को क्या सिखाऊंगी।
अमिताभ बच्चन और नसीरुद्दीन शाह जैसे दिग्गज अभिनेताओं के साथ काम करके क्या सीखा?
मैंने सीखा िक समय पर आइए, जब कोई मैसेज करे, तब उसका जवाब दीजिए, क्योंकि आप इतने बड़े नहीं हो सकते कि किसी के मैसेज का रिप्लाई न करें। आज तक बच्चन साहब ऐसे इंसान हैं, जो मेरे बर्थडे पर सबसे पहले 12 बजे मैसेज करते हैं। नसीर सर हर साल विश करते हैं। मैं कभी भी मैसेज करती हूं कि आपसे मिलना है, तब तुरंत अपॉयमेंट देते हैं। ये ऐसे लोग हैं कि इनको पता है कि मेहनत करके यहां तक आई हूं। मेरा कोई चाचा, ताऊ, काका यहां कोई काम नहीं कर रहा है। यहां मेरे रिश्तेदार नहीं हैं और न ही रिश्ता करना है। अपने बलबूते पर यहां आई हूं और मैंने देखा है कि ये दोनों इंसान अपने बलबूते पर यहां आए हैं और पूरी शिद्दत से काम करते हैं। ऐसा नहीं है कि पैसे और रुतबा कमा लिया, तब काम करना छोड़ दिया। आज तक पूरी शिद्दत के साथ सेट पर जाते हैं। नसीर साहब एक नया नाटक ओपेन करने जा रहे हैं। पृथ्वी थिएटर की ओपनिंग उनके नाटक से हो रही है। अभी भी रिहर्सल पर बैठे रहते हैं। वे लोग अपने जॉब को बखूबी ट्रीट करते हैं। वे नहीं सोचते हैं कि हम इतने बड़े सुपर स्टार हैं। अगर यह सोचेंगे, तब उस दिन उनका काम खत्म हो जाएगा। ये लोग रियलिटी से बहुत जुड़े हुए हैं।
देखा कि फिल्म शमशेरा में आपका नाम है, जबकि चर्चा है कि उसमें नहीं हैं?
उसमें मैं नहीं हूं, जबकि पता नहीं उसमें मेरा नाम क्यों है। मैंने तीन बार इसके डायरेक्टर को फोन करके बोला कि इसमें से मेरा नाम हटा दो या फिर फिल्म में मेरा नाम डाल ही दिया है, तब एक रोल दे ही दो। वे मेरी बात सुनकर हंस देते हैं।
आपने बताया कि इंडस्ट्री को बहुत मानती हूं, लेकिन आज इंडस्ट्री में ड्रग्स को लेकर काफी चर्चा है, यहां ड्रग्स है या फिर ग्लैमरस इंडस्ट्री होने के नाते इतनी ऊंची बातें उछाली जा रही हैं?
आप यह सवाल उस इंसान से पूछ रहे हैं, जो 10 बजे खुद सो जाती है। सुबह 6 बजे उठकर काम पर भागती है। न तो मैं किसी को जानती हूं और न ही मेरे कोई दोस्त हैं और न ही मैं किसी पार्टी में जाती हूं। मैं किसी के बारे में जानती नहीं हूं, तब उन लोगों के बारे में कैसे कमेंट कर सकती हूं। मेरा हक ही नहीं बनता है कि किसी के बारे में कमेंट करूं, जब तक उसे जानती नहीं हूं। दरअसल, यह ग्लैमरस इंडस्ट्री है और यहां की खबरों को चटकारे लेकर पढ़ने का शौक है। आप डॉक्टर के बारे में थोड़े न चटकारे लेकर पढ़ेंगे। आखिर में स्टार के बारे में पढ़ेंगे तो जो भी ऊट-पटांग बातें होती हैं, वह छप जाती हैं।
आज जिस तरह के कॉन्ट्रैक्ट साइन कराए जाते हैं, उसमें अजीब-ओ-गरीब बात क्या पाती हैं?
मुझे कभी-कभी लगता है कि प्रोडक्शन हाउसेस आकर बोलते हैं कि अपने बारे में कुछ मत बताइए, आप यह रिवील मत करिए, वह रिवील मत कीजिए। बातें सुनकर ऐसा लगता है कि आखिर क्या बना रहे हैं। आखिर शो ही तो बन रहा है न। तुम्हारे शो के बारे में चर्चा होगी, तब अच्छी बात है न। फिर तो उसके बारे में जितना लिखा जाए, उतना अच्छा है।
सुजीत सरकार के निर्देशन में एक विज्ञापन फिल्म में दिखाई दीं, क्या उनके साथ कोई फिल्म भी कर रही हैं?
मैंने उनके साथ विज्ञापन शूट किया है। उनके साथ काम करके बहुत मजा आया। मैं हंड्रेड पर्सेंट श्योर हूं कि इस जन्म में तो उनके साथ काम जरूर करूंगी, क्योंकि वे मुझे बहुत अच्छे इंसान और सुलझे हुए डायरेक्टर लगे। मैंने उनके साथ काम किया, एक या दो बार में ही मेरा सीन ओके कर दिया। उनको सब पता होता है कि क्या चाहिए। हालांकि उनके साथ एक ही दिन काम किया, पर बहुत प्यारा विज्ञापन निकला है।
आज इंडस्ट्री में किस तरह का बदलाव आते देख रही हैं?
आज ज्यादातर हस्तियों के ऊपर फिल्में बन रही हैं। यह इंटरेस्टिंग बात लगती है, लेकिन थोड़े दिनों के बाद इस कांसेप्ट को लोग घिसा देंगे। हमारी इंडस्ट्री में होता यह है कि एक बंदा कुछ बनाता है, तब उसी चीज को 50 लोग बनाने लगते हैं। कभी-कभी तो सेम एक्टर्स को तीन फिल्मों में रिपीट करेंगे और तीनों फिल्में एक जैसी होती है। इन तीनों की एडिटिंग करके एक फिल्म बना सकते हैं। यह अच्छी बात है कि फीमेल को भी अच्छे रोल मिल रहे हैं, पर मुझे लगता है कि हर इंसान पर बायोपिक नहीं बन सकती है। आप बायोपिक से हटकर और भी कहानियां बता सकते हो। हमारी इतनी भी जनसंख्या नहीं कि हर किसी पर बायोपिक बनाएं।