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कोरबा : बजट मिला पूरा, स्कूल निर्माण आज भी अधूरा -जनपद पंचायत पोड़ी उपरोड़ा के ग्राम पंचायत कुटेशर नगोई प्राथमिक शाला भवन पांच सालो से पड़ा है अधूरा

पोड़ी उपरोड़ा/बृजकिशोर गुप्ता : सरकार ने तो स्कूल के निर्माण के लिए पूरा बजट जारी किया, लेकिन जिम्मेदारों ने बजट का बंदरबांट कर लिया। इसके कारण स्कूल का निर्माण आज तक अधूरा पड़ा हुआ है। बारिश में छत से पानी टपकता है तो कच्ची जमीन से जहरीले कीड़े निकल आते हैं। किसी को इसकी कोई परवाह नहीं है।विद्यालय भवन नहीं बनने के कारण छात्रों के पठन-पाठन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। धूप एवं बरसात के दिनों में अधिक दिक्कतें होती है।

पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के ग्राम पंचायत कूटेशर नगोई के मोहल्ला कदमपारा में 5 साल पहले वर्ष 2016-17 में प्राथमिक विद्यालय स्वीकृत हुआ था। चार वर्ष पहले सरकार द्वारा प्राथमिक विद्यालय के बच्चों को नए भवन की सुविधा मुहैया कराने के लिए लगभग 12 लाख रुपये स्वीकृत हुआ था ! जिसमे लगभग 8 लाख रुपए से अधिक राशि का आहरण किया जा चुका है इसके बाद भी ठेकेदार के द्वारा इतने सालों बाद भी भवन के निर्माण कार्य नही किया गया , स्थानीय ठेकेदार के द्वारा नए विद्यालय भवन का निर्माण तो कराया, लेकिन इसमें केवल दीवारें खड़ीं करके लेंटर डाल दिया गया। लेंटर में भी मानकों की अनदेखी की गई। न तो दीवारों पर प्लास्टर किया गया और न ही फर्श बनवाया गया।

हाल ये है कि बारिश में छत से पानी टपकता है तो वहीं कच्ची जमीन में दलदल हो जाता है। ग्रामीणों के अनुसार कई बार स्कूल में जहरीले कीड़े भी निकल चुके हैं, जिससे बच्चों और शिक्षकों को खतरा बना रहता है। कई बार ग्रामीणों ने मामले की शिकायत की, लेकिन हर बार केवल कार्यवाही का आश्वासन मिला । वही बच्चों और शिक्षकों ने स्कूल की मरम्मत कराने की मांग की है। उन्होंने कहा कि अगर जल्द ही अधिकारियों ने कोई कदम न उठाया तो वे स्कूल का संचालन बंद कर देंगे। वही सवाल यह है कि इस भवन की राशि डकार कर भवन को अधूरे स्वरूप मे छोड़ देने वाले शिक्षा क्षेत्र के इन गुनाहगारो पर सरकारी नकेल क्यो नहीं कंसी जा रही है , यह बड़ा सवाल है, इस पोड़ी उपरोड़ा विकासखंड के ग्रामो मे स्कूल भवन निर्माण के लिये शासन ने करोड़ो रूपये खर्च किये है

लेकिन विभाग की लचर कार्यशैली के चलते आदिवासी क्षेत्र के बच्चो को स्कूल भवन नसीब नही हो पाया है यहां एक नही दर्जनो ऐसे मामले है समय समय पर इसकी खबर भी प्रकाशित होने के बाद हर बार अधिकारियों द्वारा औपचारिक निरीक्षण समस्या समाधान के आश्वासन के बाद फिर ढाक के तीन पात जैसी स्थिति निर्मित हो जाती है और तो और स्कूल भवनो के निर्माण के लाखो रूपये राशि आहरण करने वाले निर्माण एंजेसिंयो पर कोई ठोस कार्यवाही नही होने से पिछले 5 वर्षो से दर्जनो स्कूल भवने अधूरे पड़े हुए है जिसका खामियाजा भोले भाले आदिवासी बच्चो को भुगतना पड़ रहा है !!