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मरवाही वन मण्डल के गौरेला पेंड्रा मरवाही रेंज में लेंटाना उन्मूलन के 100 करोड़ का घोटाला..

मरवाही वन मण्डल के गौरेला पेंड्रा मरवाही रेंज में लेंटाना उन्मूलन के 100 करोड़ का घोटाला

 

 

गौरेला पेंड्रा मरवाही; मरवाही वन मण्डल को एनजीटी के प्रस्ताव अनुसार क्षेत्र को लेंटाना मुक्त कराना था जिसे शासन ने मरवाही वनमण्डल के लेंटाना से प्रभावित रेंज मरवाही गौरेला और पेंड्रा को चिन्हांकित कर परियोजना प्रतिवेदन शासन को भेजा गया परियोजना अनुसार 3 वर्षो में लगातार लेंटाना कटाई का कार्य स्वीकृति हुई इस परियोजना में साधन ने 3 वन परिक्षेत्रो के लिए लगभग 100 करोड़ राशि की स्वीकृति दी शातिर अधिकारियों ने भ्रष्टाचार का तरीका पहले ही बना लिया और जहां केवल यह कार्य मजदूरों से कराया जाना सम्भव था वहां स्टीमेट में जेसीबी मशीन से सफाई करना बताया गया और अपने चहेते दो ठेकेदार ओम ट्रेडर्स मनेंद्रगढ़ और साहिल इंटरप्राइजेश बिलासपुर को जेसीबी कार्य का टेंडर दे भ्रष्टाचार का शुरुआत किया गया यह कार्य 3 वर्षो के लिए बनाया गया था पर

पहले वर्ष में पूरे स्वीकृत राशि मे मात्र 10 परसेंट काम किया गया बाकी 90 प्रतिशत राशि एक वन रक्षक से लेकर प्रधान मुख्य वन संरक्षक तक को हिस्सा बता राशि का गबन किया गया कभी बीच मे आवाज उठाने वाले कुछ विशेष व्यक्तियों को भी डोनेशन कमीशन दे मुंह बंद कर दिया गया यह परियोजना अधिकारियों और कर्मचारियो के लिए एक स्वर्णिम दिन से कम नही रहा इसमे जमकर भ्रष्टाचार किया इसी परियोजना की प्राप्त कमीशन से संजय त्रिपाठी अपने प्रभारी डीएफओ पद को बचाने में लगा दिया और सफल भी रहे जैसा कि एक जेसीबी मशीन जंगल झाड़ी एवम उबड़ खाबड़ पहाड़ में चल ही नही सकता पर अधिकारियों के कमीशन की पावर ने उसे भी चला दिया और 100 करोड़ इन दोनो फर्मो से जेसीबी किराया से लेना बताया गया फर्म के खाते में डाले गए राशि का 15 प्रतिशत फर्म वाले को देकर पूरा पैसा वापस ले लिया गया

एक भी जेसीबी का नम्बर मैच नही होगा एक आरटीआई कार्यकर्ता

रजक जो पूर्व डीएफओ रहे उनके द्वारा यह जानकारी निकलवाई गई थी तो पता चला 60 प्रतिशत जो जेसीबी मशीन के नंबर अंकित कर कार्य करना बताया गया है वह बाइक के है इन दोनों फर्मो ने भी इन अधिकारियों का जमकर साथ दिया इनको घोटाला करने में जबकि प्रत्यक्ष रूप से अगर जहां लेंटाना है यहां जब मीडिया कर्मी और जन प्रतिनिधियों के समक्ष चलाई जाए तो पूरा सच्चाई सामने आ जाएगा इस प्रकार अधिकारियों ने पूरे 100 करोड़ की राशि का बंटरबाट किया है

फर्जी बिना काम कराए

विश्वस सूत्रों से पता चला है कि कुछ मजदूरी के पैसा को भी कमीशन के चक्कर मे एक वास्तविक मजदूर के खाते में ना डालकर अपने चहेतों के नाम 25 हजार से 50 हजार तक डाल कर राशि गबन कर लिया गया है मजदूरों का पेमेन्ट नगद किया गया वास्तविक मजदूरी से कम और अगर इनकी जानकारी आर टी आई से मांगा जाता है तो खाता नम्बर डिटेल नही देना आर टी आई का नियम है कर पल्ला झाड़ लिया जाता है और इस तरीके से खुलेआम भ्रष्टाचार किया जा रहा है !

इस घोटाला की शिकायत मजदूर संघ जिला अध्यक्ष ने वर्तमान डीएफओ एवम मुख्य वन संरक्षक राजेश चंदेले को की गई थी लेकिन उस शिकायत को ठंढे बस्ते में डाल दिया गया है..!