छत्तीसगढ़-मध्यप्रदेश के बीच मंदिर विवाद : ज्वालेश्वर धाम पर अमरकंटक नगर पंचायत ने लगाया मकान नंबर 33 का बोर्ड; यह गौरला पंचायत में पहले से दर्ज
छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के बीच सीमा विवाद एक बार फिर शुरू हो गया है। इस बार विवाद ज्वालेश्वर महादेव धाम को लेकर है। मध्य प्रदेश की अमरकंटक नगर पंचायत ने मंदिर की दीवार पर अपना बोर्ड लगा दिया है। इसमें उसे मकान नंबर 33 बताया गया है, जबकि यह मंदिर गौरेला-पेंड्रा-मरवाही (GPM) जिले की गौरेला नगर पंचायत में पहले से दर्ज है। मंदिर के पुजारी और प्रदेश के पुलिस अफसर भी इसे छत्तीसगढ़ का ही हिस्सा मानते हैं।
दरअसल, विवाद मंदिर के गेट की दीवार पर बोर्ड लगाने से शुरू हुआ है। इस बोर्ड पर अमरकंटक नगर पंचायत ने वार्ड क्रमांक एक का मकान नंबर 33 बताया है। जबकि अंदर आश्रम और मंदिर परिसर के गेट दोनों कई सालों से गौरेला विकासखंड के तवाडबरा ग्राम पंचायत के मकान नंबर 46 और 47 में दर्ज हैं। मंदिर को लेकर राज्य के विभाजन के बाद से ही दावेदारी और विवाद चल रहा है। हालांकि गौरेला ADJ कोर्ट भी मंदिर को छत्तीसगढ़ का हिस्सा बता चुका है।
अमरकंटक नगर पंचायत की ओर से मंदिर की दीवार पर लगाया गया बोर्ड।
मंदिर के पुजारी बोले- कुछ लोग राजनीति कर रहे
मंदिर के मुख्य पुजारी महंत ज्ञानेश्वर पुरी कहते हैं कि MP सरकार की ओर से अभी तक कोई अफसर नहीं आया है। उन्होंने वॉट्सऐप पर मैसेज देखा है। कुछ लोग जबरदस्ती दीवार पर बोर्ड लगा जाए तो क्या कर सकते हैं। बंटवारे के बाद से ज्वालेश्वर धाम, माई की बगिया और सड़क छत्तीसगढ़ में दर्ज हैं। इसके कागज भी हमारे पास हैं। कुछ लोग सिर्फ राजनीति कर रह रहे हैं। उनका धर्म और मंदिर से कुछ लेना-देना नहीं है। वह अंदर भी नहीं आते हैं।
छत्तीसगढ़ की गौरेला पंचायत की ओर से मंदिर की दीवार पर लगा बोर्ड।
SP ने कहा- मंदिर हमारे राज्य का हिस्सा
GPM के SP त्रिलोक बंसल कहते हैं कि ज्वालेश्वर धाम राज्य का हिस्सा है। उसकी सुरक्षा की जिम्मेदारी हमारी है। जब भी मंदिर में कोई आयोजन होता है तो उसकी सुरक्षा-व्यवस्था की जिम्मेदारी छत्तीसगढ़ पुलिस की होती है। इसे आगे भी करते रहेंगे। वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि मंदिर और माई की बगिया क्षेत्र के विकास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार कोई ध्यान नहीं दे रही है। जो भी विकास कार्य आसपास कराए गए हैं, वह MP सरकार की ओर से ही हुए हैं।