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पाली एवं चैतमा वन परिक्षेत्र के नारंगी क्षेत्रों में लाखों का मुनारा घोटाला, कलेक्टर के आदेश पर जांच टीम गठित, अब आनन- फानन में कराया जा रहा मुनारा का निर्माण, जांच टीम द्वारा क्लीन चिट व लीपापोती की आशंका

पाली एवं चैतमा वन परिक्षेत्र के नारंगी क्षेत्रों में लाखों का मुनारा घोटाला, कलेक्टर के आदेश पर जांच टीम गठित, अब आनन- फानन में कराया जा रहा मुनारा का निर्माण, जांच टीम द्वारा क्लीन चिट व लीपापोती की आशंका

@- कागजों में मुनारा निर्माण तथा पुराने मुनारों को मरम्मत व रंग- रोगन कराकर नवनिर्माण बता किया गया है लाखों का वारा- न्यारा.

कोरबा/चैतमा-पाली:- वनविभाग के नारंगी में पदस्थ वन अधिकारियों एवं कर्मचारियों ने मुनारा निर्माण के नाम पर लाखों का वारा- न्यारा एवं बंदरबांट किया है। जहां करीब एक हजार मुनारा का नवनिर्माण कटघोरा वनमंडल के चैतमा एवं पाली रेंज में कराया जाना था, लेकिन अधिकतर मुनारा का निर्माण कागजों में जबकि पुराने मुनारों को मरम्मत व रंग- रोगन कराकर नवनिर्माण का रूप देते हुए जमकर मुनारा घोटाला को अंजाम दिया गया। जिसके जांच के आदेश कलेक्टर द्वारा दिये जाने पश्चात नारंगी अधिकारियों- कर्मचारियों के हाथ- पांव फूल गए है, तथा आनन- फानन में मुनारा निर्माण का कार्य कराकर जांच पूर्व लीपापोती का प्रयास किया जा रहा है।

उल्लेखनीय है कि कोरबा वन मण्डल अंतर्गत नारंगी वन परिक्षेत्र के तत्कालीन वन परिक्षेत्र अधिकारी श्री मरावी के देख- रेख में पाली एवं चैतमा परिक्षेत्र के जंगलों में करीब 01 हजार मुनारा निर्माण हेतु प्रशासकीय स्वीकृति मिली थी। जहां मुनारा निर्माण के नाम पर अधिकारियों- कर्मचारियों ने मिलकर जमकर भ्रष्ट्राचार को अंजाम देते हुए लाखों का बंदरबांट किया, और ज्यादातर मुनारा का निर्माण कागजों में कराया। इसके अलावा पुराने मुनारों को मरम्मत व रंग- रोगन कराकर नवनिर्माण का रूप दिया गया। वहीं जिन क्षेत्रों में मुनारा का निर्माण कराया भी गया, वह गुणवत्ताहीन होने के कारण कुछ ही दिनों में टूटफूट कर धसक गए और आस्तित्व विहीन हो रहे है। जिसके कारण उन क्षेत्र के बीट गार्डों द्वारा कार्य पर आपत्ति भी जताई गई थी और सत्यापन में हस्ताक्षर भी नही किये। पुष्ट सूत्रों के अनुसार अधिकारी ने माँगामार नारंगी क्षेत्र में ही मुनारा का नवनिर्माण कराया, जबकि अन्य क्षेत्रों में कागजों पर निर्माण व पुराने मुनारों को ही नया रूप दिया गया। उक्त भ्रष्ट्राचार का खुलासा खबर के माध्यम से होने पश्चात कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने इसे गंभीरता से लिया और जांच करने कोरबा डीएफओ को आदेशित किया। जहां डीएफओ प्रियंका पाण्डेय ने वनमंडल कोरबा के उपवनमंडलाधिकारी ईश्वर कुजूर को जांच अधिकारी नियुक्त किया है। जिन्हें सही जांच कर रिपोर्ट जल्द पेश करने का निर्देश दिया गया है। वहीं जांच टीम गठित होने के बाद मुनारा निर्माण के नाम पर लाखों की राशि का बंदरबांट करने वाले अधिकारियों- कर्मचारियों के हाथ- पांव फूल गए है, और पाली व चैतमा वन परिक्षेत्र के जंगलों में वर्तमान दर्जनों मिस्त्री लगाकर मुनारा निर्माण का काम आनन- फानन में कराया जा रहा है। जिसमे समीप के नदी- नालों से चुने गए बोल्डर- पत्थर को एक- दूसरे पर जमाकर और बाहर से सीमेंट का हल्का प्लास्टर चढ़ाया जा रहा है, जिसमे महज आधा बोरी सीमेंट भी खपत नही हो रहा। निर्माण पश्चात जिसकी मजबूती का अंदाजा सहज लगाया जा सकता है। ऐसे में जांच टीम गठित होने पश्चात जल्दबाजी में मुनारों का निर्माण कराना संदेह को जन्म दे रहा। कहीं ऐसा तो नही कि गठित जांच टीम द्वारा मुनारा निर्माण के नाम पर जमकर भ्रष्ट्राचार का खेल खेलने वाले नारंगी अधिकारियों- कर्मचारियों को क्लीन चिट दी जा रही हो। जहां जांच पूर्ण होने से पहले ही हजार मुनारा का निर्माण धरातल पर कराया जा सके, तथा जिसके बाद जो जांच रिपोर्ट शीर्ष अधिकारी को सौंपी जाए उसमें सबकुछ ठीक- ठाक होना बताकर भ्रट्र कृत्यों पर पर्दा डालने का काम किया जाए..? इस दिशा पर जिला प्रशासन को ध्यानाकर्षित करने की आवश्यकता है, ताकि किसी प्रकार का लीपापोती न होने पाए। यदि त्वरित व ईमानदारी से सही जांच होती है तो लाखों का घोटाला करने वाले अधिकारी- कर्मचारी के काले कारनामे का पर्दाफाश होना संभव माना जा रहा है।