कोरबा : नहीं सुनी किसानों की अर्जी ,मंत्री ,विधायकों अफसरों की चली मर्जी ,2 किलोमीटर में दे दिए 2 उपार्जन केंद्र ,20 किलोमीटर का फासला तय कर धान बेचने वाले किसानों को भूले ,बेहरचुआं ,चचिया के 963 किसान होंगे परेशान
नहीं सुनी किसानों की अर्जी ,मंत्री ,विधायकों अफसरों की चली मर्जी ,2 किलोमीटर में दे दिए 2 उपार्जन केंद्र ,20 किलोमीटर का फासला तय कर धान बेचने वाले किसानों को भूले ,बेहरचुआं ,चचिया के 963 किसान होंगे परेशान
कोरबा : 1 दिसंबर से शुरू हो रही धान खरीदी अभियान में खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति निगम के अधिकारियों की अदूरदर्शिता की वजह से इस साल भी चचिया एवं बेहरचुआं क्षेत्र के 9 गांवों के 963 किसानों को शासन को समर्थन मूल्य पर धान बेचने 15 से 20 किलोमीटर का फासला तय करना पड़ेगा। मंत्री विधायकों के मर्जी के आगे किसानों की अर्जी नहीं चली। किसानों की समस्याओं सुविधाओं को नजरअंदाज कर जिले में बिना प्रस्ताव 2 उपार्जन केंद्र खोल दिए गए। जबकि समितियों के प्रस्ताव ,क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की मांग सहित सहकारी बैंक की अनुशंसा सहित भेजे गए प्रस्ताव को टोकरी में डाल दिया गया। राज्य स्तर के अधिकारियों की इस मनमानी का खामियाजा किसानों को भुगतना पड़ेगा।
यहाँ बताना होगा कि जिले से इस साल किसानों की सुविधाओं को मद्देनजर रखते हुए 8 नए उपार्जन केंद्र का प्रस्ताव खाद्य नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग छत्तीसगढ़ शासन को भेजा गया था। जिसमें से शासन ने 5 उपार्जन केंद्रों को स्वीकृति प्रदान कर दी। जबकि 3 विभिन्न कारणों की वजह से स्वीकृत नहीं हो पाए।लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि जिन 3 प्रस्तावित उपार्जन केंद्रों को स्वीकृति नहीं मिली उनमें से 2 को हर हाल में प्राथमिकता से स्वीकृति देनी चाहिए थी। ये दोनों प्रस्तावित उपार्जन केन्द्र हैं बेहरचुआं व चचिया। कोरकोमा समिति से चचिया को धान उपार्जन केन्द्र बनाया जाना था । जबकि नवापारा समिति से बेहरचुआं को नवीन उपार्जन केंद्र बनाया जाना था। लेकिन जहां जिले में बिना प्रस्ताव के सोनपुरी समिति से नकटीखार एवं जवाली समिति से रंजना को धान उपार्जन केंद्र बना दिया गया। वैसे नकटीखार को धान उपार्जन केंद्र गत वर्ष ही बनाया जाना था। लेकिन 10 गांवों के 334 किसानों को नजरअंदाज कर मंत्री कोटे में महज 6 किसानों के लिए कोरबा विधानसभा क्षेत्र के दादरखुर्द में धान उपार्जन केन्द्र की स्वीकृति दे दी गई थी। जिसकी वजह से नकटीखार क्षेत्र के किसानों को धान बेचने 2 से 10 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ा था। इस साल किसानों ने धान बेचने शहर दादरखुर्द जाने से से इंकार भी कर दिया था। पूर्व गृहमंत्री रामपुर विधायक ननकीराम कंवर, क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि सहित किसानों के दबाव मीडिया में हो रही फजीहत को देखते हुए नकटीखार को धान उपार्जन केंद्र बना दिया गया। जबकि कायदे से दादरखुर्द का उपार्जन केंद्र विलोपित कर नकटीखार से लगे भुलसीडीह को बनाना था।जिससे किसानों को अधिक असुविधा नहीं होती साथ ही यह कोरबा विधानसभा क्षेत्र की सीमा में है।यहां कृषि उपज मंडी के लिए पर्याप्त स्थल भी आबंटित है।लेकिन इन सबको नजरअंदाज कर नकटी खार को नवीन उपार्जन केन्द्र बना दिया गया।जबकि शासन के नीति के अनुसार धान उपार्जन केंद्रों में मध्य 10 किलोमीटर का अंतर होना चाहिए।इस तरह महज 2 किलोमीटर में 2 उपार्जन केंद्र हो गए। वहीं जवाली समिति से बिना प्रस्ताव रंजना को उपार्जन केंद्र बना दिया गया।
15 से 20 किलोमीटर का लगाएंगे फेरा
बेहरचुआं एवं चचिया को उपार्जन केंद्र नहीं बनाए जाने से 9 गांव के 963 किसानों को 15 से 20 किलोमीटर का लंबा फासला तय करना पड़ेगा। जबकि उपार्जन केन्द्र खोलने से उन्हें महज 8 से 12 किलोमीटर का फासला तय करना पड़ता। बेहरचुआं से नवापारा की दूरी 15 किलोमीटर तो कोरकोमा से चचिया की दूरी 20 किलोमीटर है।
इन गांवों के किसानों को मिलता लाभ ,बेचे थे रिकार्ड धान
चचिया एवं बेहरचुआं में धान उपार्जन केन्द्र खुलने से 9 गांव के 963 किसान लाभान्वित होते। बात करें कोरकोमा समिति से प्रस्तावित चचिया उपार्जन केंद्र की तो यहाँ कुल 348 किसान हैं। प्रस्तावित उपार्जन केंद्र में चचिया ,कुदमुरा,तौलिपाली,धौराभांठा ,मदनपुर ,पसरखेत के किसान शामिल होते। इसी तरह नवापारा समिति से बेहरचुआं को उपार्जन केंद्र बनाए जाने से 515 किसान लाभान्वित होते। प्रस्तावित उपार्जन केंद्र में बेहरचुआं ,बोकरदा,सुअरलोट एवं खूंटाकूड़ा के किसान शामिल होंगे। गत वर्ष इन्हीं 4 गांवों के किसानों ने रिकार्ड 36 हजार क्विंटल धान बेचा था। फिर भी राज्य स्तर के अधिकारियों ने उपार्जन केन्द्र की स्वीकृति देते समय धृतराष्ट्र की तरह आंखों में पट्टी बांध रखी थी ,बेहरचुआं को नजरअंदाज कर दिया।
प्रशासन ने निकाला रास्ता,दादरखुर्द नकटीखार के किसान भुलसीडीह में बेचेंगे धान,
जिला प्रशासन किसानों की समस्या को लेकर संजीदा है। नकटीखार के केंद्र को विलोपित कर बेहरचुआं को उपार्जन केंद्र बनाए जाने खाद्य ,उप पंजीयक सहकारी संस्थाएं के प्रतिवेदन के आधार पर शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। यही नहीं नकटीखार एवं दादरखुर्द के विरोध का तोड़ भी निकाला गया है। नकटीखार से महज 1 किलोमीटर में भुलसीडीह ग्राम लगा है जो कि कोरबा विधानसभा क्षेत्र का अंतिम ग्राम है। लिहाजा विधानसभा के आधार पर मिली केंद्रों की स्वीकृति को देखते हुए दादरखुर्द की जगह भुलसीडीह में धान खरीदी की तैयारी की जा रही है।
चचिया के प्रस्ताव को किया गया दरकिनार कर चचिया में नवीन धान उपार्जन केंद्र खोलने अर्से से मांग की जा रही है। इस साल ब्लॉक कांग्रेस कमेटी करतला के अध्यक्ष गजेंद्र यादव ने चचिया में आयोजित निदान शिविर में कलस्टर स्तर शिविर प्रभारी सीईओ जनपद पंचायत कोरबा के समक्ष किसान हित में चचिया में उपार्जन केंद्र खोले जाने ज्ञापन सौंपा था। जिसके आधार पर शाखा प्रबंधक जिला सहकारी केंद्रीय बैंक ने भी नोडल अधिकारी /क्षेत्राधिकारी जिला सहकारी बैंक कोरबा को चचिया में उपार्जन केंद्र खोले जाने अनुशंसा की थी।नोडल अधिकारी ने भी पहल की थी। लेकिन शायद इस साल भी किसानों को निराश होना पड़ेगा।
०1 दिसम्बर 2021 से धान खरीदी की होगी शुरुआत ।
० जिले में 41 समितियों के 54 उपार्जन केन्द्रों पर होगी खरीदी।
०अब तक लगभग 38 हजार 222 किसानों ने कराया पंजीयन।
०अब तक 5 हजार 631 नए किसान हुए पंजीकृत।
० एक लाख 54 हजार मीट्रिक टन से अधिक धान खरीदी का अनुमान।
०अब तक मांग अनुरूप 80 फीसदी बारदाना का भंडारण पूरा
० अवैध धान की आवक और बिक्री रोकने के लिए जिले में 15 चेकपोस्ट बने। एसडीएम और तहसीलदारों की अध्यक्षता में जांच दलों का गठन। उपार्जन केन्द्र स्तर पर निगरानी समितियां भी बनीं।
समितिवार नए उपार्जन केंद्र एक नजर में
समिति – नए उपार्जन केंद्र
सोनपुरी – नकटीखार
जवाली – रंजना
पाली -नुनेरा
जटगा – तुमान
पसान – लैंगा