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गौरेला पेंड्रा मरवाही : 4 महीनो बाद भी नेताओ की मांग पर कोई कार्यवाही नही , आम जनता में पनप रहा आक्रोश..

गौरेला पेंड्रा मरवाही : नेताओ की मांग को किया गया दरकिनार

गौरेला पेंड्रा मरवाही :- छत्तीसगढ़ के गौरेला पेण्ड्रा मरवाही जिला और वन वृत्त बिलासपुर का वनमंडल मरवाही लम्बे समय से भ्रष्टाचार के लिए बदनाम है। प्रभारवाद और आला स्तर पर संरक्षण के चलते यहां दोनों हाथों से सरकारी खजाने को लूटने का खेल बड़ी दिलेरी से होता है। मामला गौरेला पेंड्रा मरवाही का है जहाँ पूर्व में मरवाही वनमण्डल में करोड़ो रुपए के भ्रष्टाचार में लिप्त वर्तमान डीएफओ संजय त्रिपाठी के काले कारनामों में लीपापोती कर उन्हे खुला संरक्षण दिया गया है …ज्ञातव्य हो कि विगत 7 से अधिक वर्षों से गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले के वन परिक्षेत्रों में रेंजर व वर्तमान मरवाही वनमंडल डीएफओ संजय त्रिपाठी पर करोडो के भ्रष्टाचार का आरोप लगा था… जिसमे त्रिपाठी के भ्रष्टाचार की उच्च स्तरीय जांच के लिए मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ शासन, वनमंत्री मो. अकबर खान एवं पीसीसी चीफ मोहन मरकाम को जिला कांग्रेस कमेटी समेत समस्त कांग्रेसी कार्यकर्ताओं द्वारा लिखित एवं मौखिक चर्चा कर मरवाही वनमण्डल से अन्यत्र स्थानांतरित कराये जाने की मांग की गई है. ..

तत्पश्चात मरवाही विधायक द्वारा भी जन मानस की मांग को देखते हुए एवम नियम विरुद्ध रेंजर से डीएफओ बनाए जाने पर आपत्ति दर्ज करते हुए मुख्यमंत्री से सीधे संजय त्रिपाठी को डीएफओ पद से हटाने की मांग की गई थी …किंतु आज कई महीनो के बीत जाने के वावजूद डीएफओ पद पर संजय त्रिपाठी आसीन है ..कांग्रेस पार्टी के विधायक द्वारा पत्र एवम लगातार शिकायतों के बाद भी इन पर कार्यवाही के नही होने से इनका हौसला और बढ़ता गया ,,करोडो के भ्रष्टाचार की शिकायत के पश्यात भी न इनकी जांच कराई गई और न ही इनका स्थानांतरण किया गया. उल्टे इन्हें प्रभारी वनमण्डाधिकारी मरवाही द्वारा मरवाही परिक्षेत्र प्रभार के साथ साथ पेण्ड्रा सबडिवीजन का अतिरिक्त प्रभार एवम वर्तमान में डीएफओ का पद देकर पुरष्कृत किया गया है .जो गौरेला पेंड्रा मरवाही जिले एवम मरवाही विधानसभा के जनप्रतिनिधियों एवं नेताओ पर खुला तमाचा लगाना प्रतीत होता है. वही प्रदेश के मुखिया भूपेश बघेल एवं पीसीसी चीफ मोहन मरकाम आदि कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं मंत्रियों से शिकायत के बावजूद इनका डीएफओ पद न हटाया जाना भ्रष्टाचार की इबारत खड़े करना जैसा है..इससे स्थानियां जनप्रतिनिधियों का मनोबल भी टूट रहा है. जिसका प्रभाव आगामी विधानसभा चुनाव में भी पड़ने की संभावना दिखाई देती है….!!

आमजन मानस में फैलता आक्रोश